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Electoral Bonds: "चंदा दो-धंधा लो, हफ्ता वसूली, मनी लॉन्ड्रिंग... ", कांग्रेस के 4 बड़े आरोप

Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने गुरुवार, 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक कर दी है.

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चुनाव आयोग (Election Commission) ने गुरुवार, 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक कर दी है. इसके बाद कांग्रेस (Congress) नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक पोस्ट के जरिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

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जयराम रमेश ने X पर लिखा, "1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा दिया है, जिसमें 2019 से बीजेपी को 6,000 करोड़ से अधिक का दान शामिल है."

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक चुनावी बॉन्ड डेटा बीजेपी की कम से कम 4 भ्रष्ट रणनीति को उजागर करता है:

1. "चंदा दो, धंधा लो" (Quid Pro Quo)

जयराम रमेश ने दावा किया है कि ऐसी कई कंपनियों के मामले हैं जिन्होंने चुनावी बॉन्ड दान किया है और इसके तुरंत बाद सरकार से भारी लाभ प्राप्त किया है.

  • मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 800 करोड़ से अधिक दिए हैं. अप्रैल 2023 में कंपनी ने 140 करोड़ डोनेट किया और इसके एक महीने बाद ही कंपनी को 14,400 करोड़ का ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल का प्रोजेक्ट मिल गया.

  • 7 अक्टूबर 2022 को जिंदल स्टील और पावर ने 25 करोड़ का बॉन्ड लिया, इसके तीन दिन बाद यानी 10 अक्टूबर 2022 को कंपनी ने गारे पाल्मा IV/6 कोयला खदान का टेंडर जीता.

2. "हफ्ता वसूली"

जयराम रमेश ने बीजेपी पर हफ्ता वसूली का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "बीजेपी की हफ्ता वसूली रणनीति सरल है- ईडी/सीबीआई/आईटी के माध्यम से किसी लक्ष्य पर छापा मारना, और फिर कंपनी की सुरक्षा के लिए हफ्ता ("दान") मांगना." उन्होंने कहा कि टॉप 30 दानदाताओं में से कम से कम 14 पर छापे मारे गए हैं.

  • उन्होंने दावा किया कि इस साल की शुरुआत में एक जांच में पाया गया कि ईडी/सीबीआई/आईटी छापे के बाद, कंपनियों को चुनावी ट्रस्टों के माध्यम से बीजेपी को दान देने के लिए मजबूर किया गया था. हेटेरो फार्मा और यशोदा अस्पताल जैसी कई कंपनियों ने ईबी के माध्यम से दान दिया है.

  • आईटी विभाग ने दिसंबर 2023 में शिरडी साईं इलेक्ट्रिकल्स पर छापा मारा और जनवरी 2024 में उन्होंने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 40 करोड़ का चंदा दिया.

  • फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स ने 1200 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया है, जिससे यह अब तक के आंकड़ों में सबसे बड़ा दानदाता बन गया है.

क्रोनोलॉजी समझाते हुए जयराम रमेश का दावा है कि,

  • 2 अप्रैल 2022: ईडी ने फ्यूचर पर छापा मारा और 5 दिन बाद (7 अप्रैल) उन्होंने ईबी में 100 करोड़ रुपये का दान दिया.

  • अक्टूबर 2023: आईटी विभाग ने फ्यूचर पर छापा मारा और उसी महीने उन्होंने ईबी में 65 करोड़ रुपये का दान दिया.

3. "रिश्वत लेने का नया तरीका"

जयराम रमेश ने बताया कि आंकड़ों से एक पैटर्न बनता दिख रहा है, जहां केंद्र सरकार से कुछ मदद मिलने के तुरंत बाद कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से एहसान चुकाया है.

  • वेदांता को 3 मार्च 2021 को राधिकापुर पश्चिम निजी कोयला खदान मिली और फिर अप्रैल 2021 में उन्होंने चुनावी बॉन्ड में 25 करोड़ रुपये का दान दिया.

  • मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा को अगस्त 2020 में 4,500 करोड़ रुपये की जोजिला सुरंग परियोजना मिली, फिर अक्टूबर 2020 में चुनावी बॉन्ड में 20 करोड़ रुपये का दान दिया.

  • मेघा को दिसंबर 2022 में बीकेसी बुलेट ट्रेन स्टेशन का ठेका मिला और उन्होंने उसी महीने 56 करोड़ रुपये का दान दिया.

4. "शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग"

जयराम रमेश ने कहा कि "चुनावी बॉन्ड योजना के साथ एक बड़ा मुद्दा यह है कि इसने यह प्रतिबंध हटा दिया कि किसी कंपनी के मुनाफे का केवल एक छोटा प्रतिशत ही दान किया जा सकता है, जिससे शेल कंपनियों के लिए काला धन दान करने का रास्ता खुल गया."

"ऐसे कई संदिग्ध मामले हैं, जैसे कि क्विक सप्लाई चेन लिमिटेड द्वारा 410 करोड़ रुपये का दान दिया गया है, एक कंपनी जिसकी पूरी शेयर पूंजी MoCA फाइलिंग के अनुसार सिर्फ 130 करोड़ रुपये है."

इसके साथ ही उन्होंने मिसिंग डाटा का भी मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा, "एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराया गया डेटा केवल अप्रैल 2019 में शुरू होता है, लेकिन एसबीआई ने मार्च 2018 में बॉन्ड की पहली किश्त बेची. इस डेटा से कुल 2,500 करोड़ रुपये के बॉन्ड गायब हैं."

"मार्च 2018 से अप्रैल 2019 तक इन गायब बॉन्ड्स का डेटा कहां है? उदाहरण के लिए, बॉन्ड की पहली किश्त में बीजेपी को 95% धनराशि मिली. बीजेपी किसे बचाने की कोशिश कर रही है?"

बात दें की चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा सार्वजनिक किया है. शीर्ष अदालत ने फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि ये संविधान के तहत सूचना के अधिकार, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है.

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