Electoral Bonds Data Analysis: 27 अक्टूबर 2022 को, वेदांता लिमिटेड की एक इकाई, केयर्न ऑयल एंड गैस को राजस्थान में तेल और गैस का पता लगाने और उत्पादन के लिए अपने लाइसेंस को मई 2030 तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय से मंजूरी मिली थी.
इसके ठीक 18 दिन बाद, 14 नवंबर 2022 को, वेदांता समूह ने 110 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. अब, चुनाव आयोग ने 21 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं. उससे पता चलता है कि वेदांता के 110 करोड़ रुपये के चंदे में से 100 करोड़ रुपये बीजेपी (BJP) को गए थे, जबकि कांग्रेस को 10 करोड़ रुपये मिले थे.
भारत की सबसे बड़ी तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादन कंपनी केयर्न का पिछले कुछ सालों में पर्यावरण नियमों के उल्लंघन से जुड़े कई विवादों में नाम शामिल रहा है.
अगस्त 2023 में, OCCRP (ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केयर्न इंडिया ने पर्यावरण से जुड़े कई अहम नियमों को कमजोर करने के लिए लॉबिंग की, जो सफल भी रहीं. स्थानीय विरोध के बावजूद, इससे उन्हें राजस्थान में कम से कम 6 विवादास्पद तेल परियोजनाओं के लिए मंजूरी हासिल करने में मदद मिली.
हालांकि, मंत्रालय के एक सूत्र ने ऑफ द रिकॉर्ड बोलते हुए स्पष्ट किया कि लाइसेंस के विस्तार और चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दिए गए चंदे के बीच कोई कोई भी संबंध बताना "शरारतपूर्ण" होगा.
सूत्र ने कहा "एमओपीएनजी को इस तरह के किसी भी डोनेशन के बारे में जानकारी नहीं है. विभिन्न दान देनेवाले पूरे राजनीतिक चक्र में चुनावी चंदा देते हैं. कम से कम 50 से अधिक लाइसेंस हैं, जिन्हें मंत्रालय द्वारा बढ़ाया गया था. ऐसे उदाहरण हैं, जब कंपनी पर मंत्रालय द्वारा जुर्माना लगाया गया है या जब उनके मत पर आपत्ति जताई गई है, जिन्हें मंत्रालय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया है. उनका संचालन सभी क्षेत्रों में है. इसलिए ऐसा कोई भी पारस्परिक संबंध सत्य नहीं है.''
कुल मिलाकर, वेदांता ने अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 के बीच 404.4 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जबकि बीजेपी को कंपनी के कुल चंदे में से 230.15 करोड़ रुपये मिले. वहीं, कांग्रेस को 125 करोड़ रुपये और ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) को 40 करोड़ रुपये मिले.
पर्यावरण को ताक पर रख कंपनी को महत्वपूर्ण परियोजनाएं की मिली मंजूरी
वेदांता ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पहला चंदा 16 अप्रैल 2019 को दिया था, तब कंपनी ने 39.65 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे. यह पूरा चंदा बीजेपी के खाते में गया. अब इस चंदे के ठीक 9 दिन बाद, 25 अप्रैल 2019 को, कंपनी को राजस्थान में अपने तेल और गैस संचालन के विस्तार के लिए पर्यावरण मंत्रालय से Environmental Clearance मिल गया.
फिर इसी साल के अंत में, वेदांता पर चल रहे जंगल में अतिक्रमण के आरोपों के बावजूद उन्हें झारखंड में एक प्रस्तावित स्टील प्लांट के लिए भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिल गई.
वेदांता लिमिटेड ने जनवरी 2022 में भी इलेक्टोरल बॉन्ड की एक और बड़ी खरीद की थी. 4 जनवरी 2022 को कंपनी ने 20 करोड़ रुपये के बॉन्डस खरीदे जिसे कांग्रेस ने इनकैश करवाए, जबकि 10 जनवरी 2022 को वेदांता ने 76 करोड़ रुपये के बॉन्डस खरीदे, जिन्हें बाद में बीजेपी ने इनकैश कराया.
दिलचस्प बात यह है कि जनवरी 2022 में हुए इस चुनावी चंदे के लेन-देन से ठीक एक महीने पहले, 3 दिसंबर 2021 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने वेदांता से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में लंबित एक केस में स्पष्टीकरण मांगा था. ये केस उड़ीसा में एल्यूमीनियम स्मेल्टर की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के आवेदन के दौरान सबूतों को कथित रूप से छिपाने के बारे में था.
हालांकि उसके बाद मामले में क्या हुआ इससे जुड़ा कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. 28 फरवरी 2022 के एक इंटरव्यू में कंपनी के सीईओ ने कहा कि विस्तार परियोजना "शेड्यूल के अनुसार चल रही है".
फिर मई 2022 में, एनजीटी ने ओडिशा के कालाहांडी जिले के लांजीगढ़ में अपनी एल्युमिना रिफाइनरी और कैप्टिव पावर प्लांट का विस्तार कर पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए वेदांता पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.
दो महीने बाद, 2 जुलाई 2022 को, कंपनी ने 25 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे जो ओडिशा के बीजू जनता दल के पास गए.
दो महीने बाद, 2 जुलाई 2022 को, कंपनी ने 25 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे जो ओडिशा के बीजू जनता दल के पास गए.
वहीं वेदांता ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कांग्रेस पार्टी को कुल 125 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. इस चंदे का बड़ा हिस्सा, 51 करोड़ रुपये 2022 में दिए गए. फिर जनवरी 2022 में 21 करोड़ रुपये, जुलाई 2022 में 20 करोड़ रुपये और नवंबर 2022 में 10 करोड़ रुपये दिए गए. इस दौरान, कंपनी केयर्न ऑयल एंड गैस, बाड़मेर में भूजल प्रदूषण के मुद्दे को लेकर स्थानीय लोगों के गंभीर विरोध का सामना कर रही थी.
(पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) की ओर से अनऑफिशियल प्रतिक्रिया आने पर इस स्टोरी को अपडेट किया गया है. क्विंट ने प्रतिक्रिया के लिए वेदांता और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से संपर्क किया है. जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.)
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