9 चुनावी ट्रस्ट (Electoral Trust) ने 2013-14 से 2016-17 के दौरान 4 साल में राजनीतिक दलों को 637.54 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. सबसे अधिक 488.94 करोड़ रुपये का चंदा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मिला है. इसके बाद कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपये का चंदा मिला है. यानी कुल चंदे का करीब 77 फीसदी बीजेपी के खाते में गया है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल चंदे में से 92.30 प्रतिशत यानी 588.44 करोड़ रुपये पांच राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की जेब में गए हैं वहीं क्षेत्रीय दलों के खाते में सिर्फ 7.70 प्रतिशत या 49.09 करोड़ रुपये की राशि गई है.
- राष्ट्रीय दलों में सबसे अधिक 488.94 करोड़ रुपये का चंदा बीजेपी को मिला है
- कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपये का चंदा मिला है.
- बीजेपी और कांग्रेस ही दो ऐसी पार्टियां हैं जिन्हें हर फाइनेंशियल ईयर में चंदा मिला है.
किस साल में कितना मिला चंदा
- 2013-14 में 5.37 करोड़ रुपये
- 2014-15 में 177.40 करोड़ रुपये
- 2015-16 में 49.50 करोड़ रुपये
- 2016-17 में 325.27 करोड़ रुपये रहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-14 से 2016-17 के दौरान 9 रजिस्टर्ड इलेक्टोरल ट्रस्टों ने कुल 637.54 करोड़ रुपये का चंदा दिया. इनमें से सिर्फ दो ट्रस्ट प्रूडेंट और समाज इलेक्टोरल ट्रस्ट ने दो बार से अधिक चंदा दिया. कुल रजिस्टर्ड 21 इलेक्टोरल ट्रस्ट में से 14 अपने रजिस्ट्रेशन के बाद से चंदो का विवरम निर्वाचन आयोग को दे रहे हैं.
सत्या-प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट और जनहित इलेक्टोरल ट्रस्ट ने चारों वर्षों के लिए अपने योगदान का ब्योरा दिया हैसत्या इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2016-17 के दौरान अपना नाम बदलकर प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट कर दिया. कुल 11 ऐसे इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं जिन्होंने या तो ये घोषणा की है कि उन्हें किसी तरह का योगदान नहीं मिला या फिर उन्होंने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है. कल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट ने अपने पंजीकरण के बाद से एक बार फिर रिपोर्ट निर्वाचन आयोग को नहीं सौंपी है.
क्या है नियम?
सरकार के नियमों के अनुसार इलेक्टोरल ट्रस्ट को एक फाइनेंशियल ईयर में अपनी कुल आय का 95 प्रतिशत राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देना होता है. एडीआर के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के पास रजिस्टर्ड 21 इलेक्टोरल ट्रस्ट में से 14 ने निर्वाचन आयोग को 2016-17 के लिए अपने योगदान का ब्योरा सौंपा है. इनमें सिर्फ 6 ने यह घोषणा की है कि उन्हें साल के दौरान किसी तरह का योगदान या चंदा हासिल हुआ.
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