वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
अभिनेता सोनू सूद अपनी दरियादिली की वजह से पिछले कुछ महीनों से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. बॉलीवुड के सिल्वर स्क्रीन पर खलनायक की भूमिका निभाने वाले सोनू सूद, असल जिंदगी में गरीब और लाचार लोगों के लिए मसीहा से कम नहीं हैं.
लॉकडाउन में कई बड़े-बड़े सेलेब्स ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया, पर इस दौरान सोनू सूद ने जिस तरह जरूरतमंदो और प्रवासी मजदूरों की मदद की उसके बाद से वो उनके लिए रियल हीरो बन चुके हैं .
उन्होंने COVID-19 लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद करते हुए उन्हें खाना-पानी , घर पहुंचाने के लिए साधन, गंभीर रूप से बीमार गरीब मरीजों के लिए इलाज का खर्चा - सब अपने कंधे पर उठाया .
उनके इस दरियादिली को देखते हुए, दक्षिण फिल्म इंडस्ट्री के सदस्य फिल्मों में उनके किरदारों को फिर से लिखकर और स्क्रिप्ट में फेरबदल कर उनके लिए अपना प्यार दिखा रहे हैं. इसी चक्कर में उनकी एक फ़िल्म की 14 दिनों के लिए फिर से शूटिंग करनी पड़ गई.
अभिनेता सोनू सूद ने हाल में ही अपनी किताब ,'मैं मसीहा नहीं' को लॉन्च किया है. इस किताब से उन्होंने लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की मदद और उनके दुख दर्द बांटते हुए अपना अनुभव साझा किए हैं.
क्विंट से खास बातचीत करते हुए सोनू ने बताया कि उन्हें ये किताब लिखने का आइडिया उनकी मां से मिला, जो हमेशा कहती थीं कि हमें अपनी जिंदगी में हुए सारे महत्वपूर्ण पलों को लिखकर संजो लेना चाहिए, ताकि उसे बाद में याद कर सकें.
वैसे तो एक्टर सोनू सूद बहुत बिजी रहते हैं , लेकिन इस बार कुछ लेखकों और पत्रकार मीना अय्यर (सह लेखक) के साथ मिलकर उन्होंने अपने लॉकडाउन के अनुभवों को किताब का शक्ल दिया है.
अभिनेता सोनू सूद ने कहा कि ,जो हस्तियां जरूरतमंद लोगों की मदद करती हैं उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद उन तक पहुंच सके .
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