कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation) कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (Employees Provident Fund) से पैसा निकालने की सुविधा को आसान कर रहा है. लेकिन, फाइनेंशियल प्लानर अक्सर कर्मचारियों को अपनी पीएफ खाते का पैसा न निकालने की सलाह देते हैं. उनका कहना होता है कि पीएफ के पैसे पेंशन के लिए होते हैं. हालांकि कई मौकों पर ऐसा होता है कि हमें उन पैसों की जरुरत पड़ ही जाती है. अगर पीएफ के पैसों को निकालने की प्लानिंग करते हैं, तो आपको इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि पीएफ पर भी टैक्स लगता है.
जानिए किन स्थितियों पर पीएफ खाते पर लगता है टैक्स
- अगर पीएफ का पैसा ईपीएफ की सदस्यता के 5 साल पूरे होने से पहले निकाला जाता है, तो पीएफ के पैसे पर टैक्स लगता है.
- ईपीएफ में तीन तरीकों से योगदान होता है. कर्मचारी की ओर से, कंपनी की ओर से और कर्मचारी और कंपनी दोनों के कंट्रीब्यूशन पर बन रहे ब्याज से. पांच साल पूरे होने से पहले पीएफ निकालने पर कंपनी की ओर से किए गए योगदान और उस पर आए ब्याज के पूरे टोटल पर टैक्स लगेगा.
- अगर सर्विस के पांच साल पूरे होने से पहले ईपीएफ का पैसा निकाला जाता है, तो इसमें 10 प्रतिशत टैक्स लगता है.
- अगर ऐसा व्यक्ति पीएफ निकाल रहा है. जिसका अमाउंट 50 हजार से कम है या उसकी कंपनी बंद हो गई है तो उससे किसी तरह का पैसा नहीं लिया जाएगा.
- अगर पीएफ अकाउंट का पैसा 50 हजार से ज्यादा है और सर्विस 5 साल से कम है. लेकिन सब्सक्राइबर की आय टैक्सेबल लिमिट से कम है तो वह फॉर्म 15G या 15H भर सकता है. 15H फॉर्म फॉर्म वरिष्ठ नागरिकों और 15G फॉर्म ऐसे लोगों के लिए है, जिनकी इनकम टैक्सेबल नहीं है.
हालांकि कुछ मामलों में पीएफ खाते से पैसे निकालने में छूट मिलती है और इसपर कोई भी टैक्स नहीं लगता है. जैसे मेडिकल इमरजेंसी, घर खरीदना या फिर नौकरी छूटने पर. इन मामलों में पांच साल वाला नियम लागू नहीं होता और न ही कोई टैक्स देना पड़ता है.
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