इलाज के लिए ESIC कार्ड का इस्तेमाल करने वालों के लिए अब दस लाख रुपये की सीमा खत्म कर दी गई है. इसका मतलब ये कि इलाज में अब जितने पैसे भी खर्च होंगे उनका भुगतान ESIC (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) करेगा. दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले ने कर्मचारियों के लिए इस सुविधा का रास्ता साफ किया है. इससे ESIC के जरिये इलाज कराने वाले 12 करोड़ लोगों को राहत मिलेगी.
बच्चों ने दी थी ESIC के प्रावधानों की चुनौती दी थी
हाईकोर्ट ने गौचर और कुछ दूसरी आनुवांशिक बीमारियों से पीड़ित आठ बच्चों की ओर से दायर की गई याचिका का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया है. हाई कोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने इसके साथ ही ESIC को 2016 के अंतरिम आदेश के तहत इन बच्चों के इलाज जारी रखने का आदेश दिया है.
बच्चों ने वकील अशोक अग्रवाल के जरिये से ESIC के प्रावधानों की चुनौती दी थी. इसमें 2014 में किसी भी स्वास्थ्य बीमा धारक या उनके आश्रितों के इलाज पर एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं करने के प्रावधानों को चुनौती दी गई थी.
संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं ESIC अस्पताल
इस मामले की सुनवाई के दौरान ESIC ने भी हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि उन मामलों की जांच होगी जिनमें इलाज पर 10 लाख रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान होगा. उसकी जांच एक स्पेशल कमेटी करेगी. पिछले साल सरकार ने ESIC के तहत चल रहे सैकड़ों अस्पतालों को आम जनता के इलाज के लिए खोलनेका फैसला किया था. साथ ही इसमें सस्ता दवाइयां भी मुहैया कराई जा रही थी.
सरकार का कहना था कि इससे जिला और औद्योगिक शहरों में मौजूद अस्पतालों पर दबाव कम होगा. देश भर में इस वक्त ESIC के 154 अस्पताल और 1,500 डिस्पेंसरी हैं. ESIC ने कहा था कि यह बाहरी मरीजों को सिर्फ दस रुपये में इलाज की सुविधा देगा. हालांकि ESIC के अस्पताल संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. कर्मचारी संगठनों ने सरकार से ESIC अस्पतालों के लिए ज्यादा बजट मुहैया कराने की मांग की है.
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