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कारगिल युद्ध में भारत से बेईमानी,कई देशों ने बेचे थे पुराने हथियार

पूर्व आर्मी चीफ जनरल वी  पी मलिक ने कहा कि हथियारों में आत्मनिर्भर बने बगैर हम अपनी सेना को मजबूत नहीं कर सकते

Published
भारत
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पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक ने देश की रक्षा जरूरतों के प्रति राजनीतिक नेताओं के लचर रवैये की खासी खिंचाई की है. चंडीगढ़ मे जनरल मलिक ने कहा अगर हम अपनी रक्षा जरूरतों के प्रति आत्मनिर्भर नहीं हुए तो दूसरे देश इसका फायदा उठाने से नहीं हिचकेंगे. उन्होंने कारगिल युद्ध के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि किस तरह जरूरत के वक्त कुछ देशों ने हमारी दिक्कतों का फायदा उठाया.

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भारत को दे दिया था 30 साल पुराना गोला-बारूद

जनरल मलिक ने 'मेक इन इंडिया' से जुड़े एक कार्यक्रम में कहा कि कारगिल युद्ध के वक्त भारत को हथियार और गोला बारूद की भारी जरूरत थी लेकिन इन देशों ने मदद के नाम पर घटिया चीजें दीं. उन्होंने कहा कारगिल युद्ध के वक्त बेहद जरूरी खरीदारी चाहे वह किसी भी देश से क्यों ना की गई ह, उसने भारत का शोषण किया. ये देश जितना शोषण कर सकते थे किया. हमने एक देश से तोप मांगें तो उसने शुरू में देने का वादा किया लेकिन उसने बाद में पुरानी तोपें मरम्मत करके दे दी.

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जनरल मलिक ने कहा, ‘ हमें कुछ गोला बारूद की जरूरत थी और हमने एक अन्य देश से संपर्क किया तो उसने हमें 1970 के दशक के गोला-बारूद दे दिए. जनरल मलिक ने कहा कि भारत को नए की बजाय 3 साल पुराने सेटेलाइट इमेज द‍े दिए. मलिक ने कहा कि भारत के पब्लिक इंटरप्राइजेज जरूरी हथियार नहीं दे पाते. इसलिए हमें विदेश से हथियार मंगाना पड़ता है.

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हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बने बगैर गुजारा नहीं

जनरल मलिक ने कहा कि जब तक देश हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं होता तब तक हमारी सीमाएं असुरक्षित बनी रहेंगी. उन्होंने कहा कि आज के वक्त टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है. लेकिन हमारी सिस्टम की गड़बड़ी यह है कि जब तक तकनीक सुरक्षा बलों तक पहुंचती है वह पुरानी हो जाती है. उन्होंने कहा रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़नी चाहिए

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