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कैसे पहुंचेंगे अमरनाथ? क्या है प्रक्रिया और सुविधाएं, हर बात जानिए

अमरनाथ को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने मृत्यु पर विजय और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अराधना की थी

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भारत
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जम्मू-कश्मीर से अमरनाथ श्रद्धालुओं का पहला जत्था कड़ी सुरक्षा के बीच 30 जून को रवाना हो चुका है. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यह यात्रा 1 जुलाई से शुरू होने जा रही है.

अमरनाथ में भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग रूप की पूजा-अर्चना की जाती है. यहां हर साल बर्फ का शिवलिंग अपने आप बन जाता है. इसलिए इसे बाबा बर्फानी कहते हैं. इस बारे में विस्‍तार से जानकारी आगे दी जा रही है.

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अमरनाथ को लेकर धार्मिक मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने मृत्यु पर विजय और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अराधना की थी.

कहां है अमरनाथ की गुफा?

अमरनाथ को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने मृत्यु पर विजय और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अराधना की थी

श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर अमरनाथ गुफा हिमालय पर्वत श्रेणियों में स्थित है. समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊंचाई पर बना यह गुफा 160 फुट लंबी,100 फुट चौड़ी और काफी ऊंची है. अमरनाथ गुफा हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्‍थलों में से एक है. प्राचीनकाल में इसे ‘अमरेश्वर’ कहा जाता था. यहां का प्रमुख आकर्षण प्रकृति द्वारा तैयार लगभग 10 फीट ऊंचा हिम लिंग है. जो चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ घटता-बढ़ता रहा है.

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कैसे पहुंचे अमरनाथ?

अमरनाथ को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने मृत्यु पर विजय और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अराधना की थी

जम्मू तक देश के हर बड़े नगर से ट्रेन आती है. जम्मू से चलने के बाद पहलगाम पहुंचना पड़ता है. पहलगाम से गुफा तक की दूरी लगभग 51 किलोमीटर है. पहलगाम से चंदनवाड़ी तक 17 किलोमीटर मार्ग पर चार पहिया वाहन जैसे जीप, सूमो, ट्रैक्स चलती हैं.

दूसरा तरीका यह है कि दर्शनार्थी हवाई मार्ग से श्रीनगर तक आ सकते हैं. इससे आगे पंजतरणी तक हेलिकॉप्‍टर से पहुंच सकते हैं. इसके लिए किराया भी निर्धारित किया गया है. नीलग्रंथ-पंजतरणी-नीलग्रंथ सेक्टर मार्ग पर एक तरफ की हेलि‍कॉप्टर यात्रा का शुल्क 2,000 रुपये रखा गया है, जबकि पहलगाम-पंजतरणी-पहलगाम सेक्टर मार्ग पर यात्रा शुल्क 4,300 रुपये है.

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श्रद्धालुओं को मिलेंगी ये सुविधाएं

अमरनाथ को लेकर मान्यता है कि यहां पर भगवान शंकर ने मृत्यु पर विजय और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए अराधना की थी

अमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रियों के लिए बीमा करती है. इसमें दुर्घटना के कारण यात्रियों की मौत होने पर 1 लाख तक का बीमा करवाया जाता है. यात्रा पर जाने के लिए यात्रा शुरू होने की तय तारीख से पहले रजिस्ट्रेशन करना जरूरी होता है.

रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ ही बैंक की शाखाएं अधिकृत होती है. यात्रियों के लिए शेषनाग ,पंचतरणी में सरकार विशेष दुकानें खोलती है, जहां से यात्री कम कीमत पर राशन, लकड़ी खरीद सकते हैं. किराए पर ठहरने के लिए जगह-जगह पर टेंट, शिविर लगाए जाते हैं.

सैन्य सुरक्षा के अलावा यात्रियों के लिए हाईटेक सुरक्षा के भी इंतजाम किए गए हैं. इसके तहत हेलीकॉप्टर, यूएवी (ड्रोन विमान), सर्विलांस कैमरा इस्तेमाल किए जा रहे हैं. यात्रा में जाने वाले वाहनों पर रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटीफिकेशन (आरएफआईडी) टैग, यानी ट्रैकिंग चिप लगाई जाएगी, जिससे उन वाहनों पर नजर रखी जाएगी.

अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा व्यवस्था के तहत सीआरपीएफ ने एक विशेष मोटरसाइकिल स्क्वॉड बनाई है. मेडिकल सुविधाओं से लैस ये मोटरसाइकिल मिनी एम्बुलेंस के तौर पर भी उपयोग में लाए जा सकते हैं

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