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EVM पर सवाल उठाने वाले याचिकाकर्ता से SC ने कहा-कोर्ट पब्लिसिटी पाने के लिए नहीं

Supreme Court ने सवाल किया कि क्या याचिकाकर्ता चाहता है कि कोर्ट इस प्रक्रिया की निगरानी करे.

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भारत
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शुक्रवार, 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक राजनीतिक दल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) चुनाव आयोग के बजाय कुछ कंपनियों द्वारा नियंत्रित थी. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ऐसी जगह नहीं है जहां हर कोई सिर्फ पब्लिसिटी पाने के लिए चला आए. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत चुनाव प्रक्रिया की निगरानी चुनाव आयोग (EC) करता है और ईवीएम का इस्तेमाल दशकों से चुनावों में किया जा रहा है.

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जस्टिस एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की बेंच मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी द्वारा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पिछले साल दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने ईवीएम के बारे में मुद्दा उठाने वाली उसकी याचिका को खारिज कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि जिस पार्टी को चुनाव प्रक्रिया के परिणाम से मतदाताओं से ज्यादा पहचान नहीं मिली है, वह अब याचिका दायर करके ऐसा करना चाहती हैं.

बेंच ने कहा कि ईवीएम लंबे समय से उपयोग में हैं लेकिन समय-समय पर मुद्दों को उठाने की मांग की जाती रही है. पार्टी के वकील ने संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला दिया, जो चुनाव आयोग में निहित होने वाले चुनावों के निर्देशन और नियंत्रण से संबंधित है.

हालांकि आर्टिकल 324 कहता है कि सब कुछ चुनाव आयोग द्वारा नियंत्रित किया जाना है. क्या आप जानते हैं कि पूरे देश में संसदीय चुनावों में कितने लोग मतदान करते हैं? यह एक बहुत बड़ी कवायद है.
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कोर्ट ने सवाल किया कि क्या याचिकाकर्ता चाहता है कि कोर्ट इस प्रक्रिया की निगरानी करे कि किस तरीके से ईवीएम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहता है कि इस प्रक्रिया में कुछ जांच होनी चाहिए, अनुच्छेद 324 को सही तरीके से लागू किया जाए और सब कुछ चुनाव आयोग द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए न कि किसी कंपनी द्वारा. वे केवल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया चाहते हैं.

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