वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि नोटबंदी के बाद छोटी कंपनियों को राहत देना बहुत ही जरूरी था. इसी वजह से 50 करोड़ से कम टर्नओवर वाली कंपनियों को अब 30 परसेंट की बजाय 25 परसेंट की दर से ही कॉरपोरेट टैक्स देना होगा. द क्विंट के संपादकीय निदेशक संजय पुगलिया से खास बातचीत में वित्त मंत्री ने राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले कैश डोनेशन से लेकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद बने हालात, हर मुद्दों पर बातचीत की. पढ़िए पांच बड़ी बातें.
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अरुण जेटली - साल 2003 से 2008 तक दुनिया में तेजी का दौर था. इस दौर में हमारी कॉरपोरेट कंपनियां भी तेजी से बढ़ गईं. कंपनियों ने काफी विस्तार किया. फिर जब दुनिया के बाजार धीमे हुए तो उस विस्तार में उनके पास सरप्लस कैपेसिटी थी. वो कैपेसिटी इतना फायदा नहीं देती कि वे बैंक का ब्याज भी वापस कर दें और बैंक की दरें भी ज्यादा थीं. इसके साथ ही कुछ सेक्टर ऐसे थे जो एक तरह से डूब रहे थे. हमनें कानून बना दिया, आरबीआई ने गाइडलाइंस बना दीं. लेकिन उन उन सेक्टर से पैसे निकालना ताकि उनके मामले सैटल हों, ये आवश्यक है. ये एक धीमा और पीड़ा से भरी प्रक्रिया है. धीरे-धीरे संपत्तियों का रिकंस्ट्रक्शन हो, इस तरह से बैंकों के पास पैसा वापस आएगा. निजी निवेश को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बनना पड़ेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा - 70 साल बाद भी राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया अपारदर्शी है. इस सुधार में सरकारी बॉन्ड को लाया गया है. हमनें कानून बनाया कि जो चेक से देगा उसे इनकम टैक्स में छूट मिलेगी और चंदा लेने वाली पार्टी को भी वही मिलेगा. अब पहला विकल्प है कि आप चेक से दें और दूसरा विकल्प है डिजिटल माध्यम से दें. मुझे लगता है कि ओबामा साहब की तरह पार्टियों को छोटी-छोटी राशियों में चंदा देना चाहिए. अब मैं बियरर बॉन्ड के बारे में बताता हूं, व्यापारी बैंक से बियरर बॉन्ड खरीदेंगे और पार्टी को देंगे. इसके बाद पार्टी चुनाव आयोग में दर्ज बैंक अकाउंट से उस बॉन्ड को कैश करा सकेंगीं. इसमें काले सफेद का सवाल ही नहीं. पार्टी को आईटीआर भी भरना पड़ेगा और उसे टैक्स में छूट मिलेगी. ऐसे में अगर 2000 रुपये से ज्यादा की मात्रा कैश में लेता है तो छूट नहीं मिलेगी.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली - सरकार को छोटी कंपनियों की चिंता करनी चाहिए, इस देश के बड़े लोग बहुत चतुर हैं, वो अपनी चिंता खुद कर लेते हैं. एमएसएमई सेक्टर 30% + के हिसाब से टैक्स दे रहा है. बड़ी कंपनियां छूटों का फायदा उठाकर 25% के हिसाब से कर दे रही हैं. नोटबंदी का प्रभाव भी छोटी कंपनियों पर ही पड़ा और नौकरियां भी यही लोग पैदा कर रहे हैं.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली - सरकार के मुखिया काम करवाने में पीछे नहीं हैं, हर मंत्रालय की खबर रखते हैं. गांवों में सड़कों वाला काम 2019 तक खत्म हो जाएगा. गांवों तक बिजली पहुंचाए जाने की बात चल रही है.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली - जी, ये अहम मसला था. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ना एक चिंता का विषय है, इसलिए हम ऐसा कोई कदम ना उठाएं जिससे विदेशी धन बाहर जाए.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली - जी, ये अहम मसला था. अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ना एक चिंता का विषय है, इसलिए हम ऐसा कोई कदम ना उठाएं जिससे विदेशी धन बाहर जाए.
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टॉपिक: अरुण जेटली नोटबंदी बजट 2017
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