ADVERTISEMENTREMOVE AD

बेंगलुरु में एक हफ्ते का लॉकडाउन: असरदार होने के कम क्यों है आसार?

एक्सपर्ट्स ने 3 हफ्ते के लॉकडाउन की सलाह दी है

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

14 जुलाई को रात 8 बजे बेंगलुरु में दूसरे राउंड का पूर्ण लॉकडाउन शुरू हुआ. लॉकडाउन कर्नाटक के सभी सक्रिय कोरोना वायरस मामलों का 61 फीसदी बेंगलुरु में मिलने का नतीजा है. 13 जुलाई तक शहर में सक्रिय मामले 17,051 और राज्य में 27,853 थे.

मई तक बेंगलुरु में COVID-19 के मामले और मेट्रो शहरों के मुकाबले कम थे. इस शुरूआती सफलता की वजह थी कि सरकार हेल्थ केयर एक्सपर्ट्स से सलाह ले रही थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि, नए लॉकडाउन के पैरामीटर तय करते समय ऐसा लगता है कि इस सीख को भुला दिया गया है. एक्सपर्ट कमेटी के कई सदस्यों का कहना है कि उनके 3 हफ्ते के लॉकडाउन की सलाह को न मानते हुए सरकार ने एक ही हफ्ते का लॉकडाउन लगाया. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब तक तीन हफ्ते का लॉकडाउन नहीं लगता है, इसका कम ही असर होगा.

तो एक्सपर्ट्स ने 3 हफ्ते के लॉकडाउन की सलाह क्यों दी?

एक्सपर्ट्स ने 3 हफ्ते के लॉकडाउन की सलाह दी है

एक हफ्ते से COVID-19 इंक्यूबेशन साइकिल पर फर्क नहीं पड़ेगा

लॉकडाउन का मुख्य लक्ष्य COVID-19 की इंक्यूबेशन साइकिल को तोड़ना है. COVID-19 का इंक्यूबेशन पीरियड वो समय होता है जब कोई शख्स वायरस से संक्रमित होता है और फिर उसमें लक्षण दिखते हैं. WHO के मुताबिक, ये पीरियड 14 दिन तक हो सकता है.

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज में वरिष्ठ प्रोफेसर और न्यूरोविरोलॉजी के प्रमुख डॉ वी रवि का कहना है कि मई तक बेंगलुरु में कम कोरोना वायरस मामलों का आना सख्त लॉकडाउन की वजह से था. डॉ वी रवि COVID-19 एक्सपर्ट कमेटी का भी हिस्सा हैं.

डॉ रवि का कहना है कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए कम से कम छह हफ्तों का लॉकडाउन चाहिए. एक से चार तक के लॉकडाउन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस COVID-19 की दौरान कम से कम तीन इंक्यूबेशन साइकिल टूटी थीं.  

डॉ रवि ने कहा, "अगर सरकार छह हफ्ते नहीं कर सकती तो कम से कम तीन हफ्ते तो जरूरी है, वरना इसका कोई मतलब नहीं."

एक्सपर्ट्स ने 3 हफ्ते के लॉकडाउन की सलाह दी है
0

ट्रैकिंग सिस्टम को दोबारा लाने के लिए समय नहीं

13 जुलाई तक सिर्फ 29.92 फीसदी कोरोना वायरस के मामलों का सोर्स पता है. इनमें भी 14.40% मामलों में सोर्स को influenza-like illness (ILI) और severe acute respiratory infections (SARI) बताया गया है. ये महज एक सांकेतिक शब्द है क्योंकि ILI और SARI के मामलों में भी वायरस के सोर्स का पता नहीं है.

एक्सपर्ट्स ने 3 हफ्ते के लॉकडाउन की सलाह दी है
इसका मतलब ये है कि सरकार को 84.48% मामलों में वायरस का सोर्स नहीं पता है.  

इसलिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की इतनी बड़ी बैकलॉग का निपटारा और टेस्टिंग करना जरूरी हो जाता है. जून में दो लैब के बंद हो जाने से टेस्टिंग की बैकलॉग बढ़ गई है. शहर में डायग्नोस्टिक टेक्नीशियन की कमी है, जिससे टेस्टिंग में और देरी होती है. इससे पॉजिटिव मरीजों के आइसोलेशन में देरी होती है और वायरस और फैल जाता है.

सरकार इस समस्या पर काम रही है. इसमें हर घर जाकर सर्वे, ILI और SARI संक्रमित लोगों का आइसोलेशन, तेजी से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग शामिल है. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस काम के लिए एक हफ्ता काफी नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुविधाएं मुहैया कराना

जो कदम ऊपर बताए गए वो हेल्थ केयर सिस्टम को स्थिति नियंत्रण में लाने में मदद देंगे, लेकिन लोग संक्रमित तो होंगे ही. इसका मतलब ये है कि शहर प्रशासन को बेड, ऑक्सीजन सुविधा, ICU और वेंटीलेटर जैसी सुविधाओं पर ध्यान देना होगा.

सरकार अब एक ऐप बना रही है जिसमें शहर में बेड उपलब्धता की जानकारी दी जाएगी. लेकिन एक हफ्ता पूरे सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए काफी समय नहीं है.

COVID-19 टास्क फोर्स के सदस्य और एपिडीमियोलॉजिस्ट ने कहा कि सरकार बहुत महत्वाकांक्षी हो रही है, अगर वो सोचती है कि एक हफ्ते में सब सुविधाओं का जुगाड़ हो जाएगा. उन्होंने कहा, “लॉकडाउन सुविधाएं जुटाने के लिए एक ग्रेस पीरियड है और एक हफ्ता कम समय है. और अगर लॉकडाउन खत्म होने तक ये नहीं जुटाई गईं तो स्थिति वैसी की वैसी ही रहेगी.” 

इस बीच मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि बेंगलुरु में लॉकडाउन एक हफ्ते से ज्यादा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×