ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्राइवेसी पर फेसबुक फिर कटघरे में,विप्रो से खंगलवाए यूजर्स के डेटा

फेसबुक ने विप्रो को एक लेबलिंग प्रोजेक्ट दिया था, जिसके तहत यूजर्स के लाखों पोस्ट, फोटो और डेटा खंगाले गए थे

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

फेसबुक एक बार फिर यूजर्स की प्राइवेसी में सेंध लगाने के आरोपों से घिर गई है. फेसबुक ने बेंगलुरू में विप्रो की एक टीम से लेबलिंग का काम करवाया था, जिसके तहत 260 कांट्रेक्ट कर्मचारियों ने यूजर्स के 2014 से पोस्ट किए गए लाखों फोटो, स्टेटस अपडेट और फोटो खंगाले थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

फेसबुक इस प्रोजेक्ट के तहत जानना थी कि इसकी लगातार बदलती सर्विस का इस्तेमाल करने वाले लोग इस पर किस तरह की चीजें पोस्ट कर रहे हैं. फेसबुक को इससे कई फायदे हो सकते हैं. कंपनी को इससे अपनी सर्विस के नए फीचर डेवलप करने में मदद मिल सकती है. इससे उसकी सर्विस का इस्तेमाल और कमाई बढ़ सकती है.

विप्रो में कई महीनों तक चले इस प्रोजेक्ट पर काम करने वाले कई कर्मचारियों ने रॉयटर्स को इसकी जानकारी दी. फेसबुक ने इस प्रोजेक्ट की तसदीक है. हालांकि विप्रो ने सीधे कोई जवाब नहीं दिया. उसने सारे सवाल फेसबुक को भेज दिए.

0

विप्रो में चला फेसबुक का प्रोजेक्ट नया विवाद खड़ा कर सकता है

विप्रो में चला प्रोजेक्ट दुनिया भर फैले 200 कंटेंट लेबलिंग प्रोजेक्टस में से एक था, जिनमें हजारों लोग काम करते हैं. ज्यादातर प्रोजेक्ट वैसे सॉफ्टवेयर को ट्रेनिंग से जुड़े थे जो यह तय करते हैं यूजर के न्यूज फीड में क्या दिखे. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता भी बढ़ाता है.

कंटेंट लेबलिंग प्रोग्राम फेसबुक की प्राइवेसी को लेकर नए विवाद खड़ा कर सकता है. कंपनी पहले ही दुनिया भर में यूजर की प्राइवेसी के सवाल पर मुकदमे का सामना कर रही है. कंपनी पर आरोप है कि इसने कई देशों में यूजर्स के डाटा अपने बिजनेस पार्टनर को दिए हैं.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूजर्स को सब कुछ बताना जरूरी

फेसबुक के एक प्राइवेसी मैनेजर ने इस तरह के प्रोजेक्ट को लेकर खीझ जताई. उनका कहना था कि यूजर्स के पोस्ट बगैर उनकी इजाजत के नहीं खंगाले जा सकते. आउटसोर्स मामलों पर कानूनी सेवा देने वाली कंपनी विजिन और डाना के पार्टनर जॉन केनेडी का कहना है कि अगर सटीक सर्विस के लिए यूजर के पोस्ट देखना जरूरी हों तो भी इसके बारे में उसे साफ तौर बता देना चाहिए. अगर इसके लिए आउटसाइड वेंडर का भी इस्तेमाल किया जाता है तो भी सहमति लेना जरूरी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हालांकि फेसबुक की एक प्रवक्ता ने कहा है कि कंपनी की डेटा पॉलिसी साफ कहती है कि हम यूजर की ओर से मुहैया कराए जाने वाली जानकारी का इस्तेमाल उनके अनुभव को बेहतर बनाने के लिए करते हैं. हम इस प्रोसेस में मदद के लिए सर्विस प्रोवाइडर के साथ मिल कर काम कर सकते हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या था विप्रो में चला लेबलिंग प्रोजेक्ट

हाथ से किए गए कंटेंट लेबलिंग को data annotation कहते हैं. यह इंडस्ट्री काफी तरक्की कर रही है क्योंकि कंपनियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रेनिंग और दूसरे मकसदों के लिए डेटा की जरूरत होती है. अल्फाबेट की वेमो जैसी सेल्फ ड्राइविंग कार कंपनियों के पास ऐसे लेबलर होते हैं जो वीडियो देखकर लाइट और पैदल यात्रियों को आइडेंटिफाई करते हैं ताकि उनका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मजबूत हो सके.

फेसबुक ने विप्रो का प्रोजेक्ट पिछले साल अप्रैल में लांच किया था. इसके लिए विप्रो 40 लाख डॉलर का कांट्रेक्ट मिला था. कंपनी ने 260 लेबलर की टीम बनाई थी. 2018 में इस प्रोजेक्ट के तहत पिछले पांच साल के फेसबुक की एनालिसिस की गई थी.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें