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नेहरू के बर्थडे पर ही क्यों मनाया जाता है बाल दिवस?

पढ़िए- बच्चों के लिए जवाहर लाल नेहरू के पांच प्रेरक विचार 

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देश में खास मौकों की वजह से दिन-दिवसों को सेलिब्रेट करने की पुरानी परंपरा रही है. ठीक इसी तरह 14 नवंबर का दिन भी दो वजहों से खास है, पहला इस दिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का बर्थडे होता है और दूसरा इस दिन को चिल्ड्रंस डे यानी बाल दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है. लेकिन कई बार जेहन में ये सवाल उठता है कि आखिर बाल दिवस 14 नवंबर या नेहरू के जन्मदिन पर ही क्यों मनाया जाता है? तो आइए जानते हैं बाल दिवस से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब.

संयुक्त राष्ट्र ने साल 1954 में 20 नवंबर को यूनिवर्सल चिल्ड्रंस डे के तौर पर सेलिब्रेट किए जाने का ऐलान किया था. इसके बाद से भारत समेत दूसरे कई देशों में 20 नवंबर को ही बाल दिवस मनाया जाता था. देश में ये सिलसिला साल 1964 तक चला. लेकिन जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद उनके जन्मदिन यानी 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया.

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पढ़िए- बच्चों के लिए जवाहर लाल नेहरू के पांच प्रेरक विचार 

नेहरू के निधन के बाद लिया गया फैसला

कहते हैं कि नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था. बच्‍चे भी उन्‍हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे. नेहरू कहते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं इसलिए ये जरूरी है कि उन्हें प्यार दिया जाए. 27 मई 1964 में नेहरू के निधन के बाद बच्चों के प्रति उनके लगाव को देखते हुए सर्वसहमति से ये फैसला लिया गया कि जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन को बाल दिवस के तौर पर मनाया जाए. सर्वसम्मति से फैसला होने के बाद भारत को दुनिया से अलग अपना बाल दिवस मिला.

इसके बाद से ही 14 नवंबर को नेहरू के जन्मदिवस पर बाल दिवस मनाया जाता है और बच्चों के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

बच्चों के लिए नेहरू के पांच प्रेरक विचार

  1. शिक्षा सामुदायिक विकास के लिए जरूरी है क्योंकि जो भी ज्ञान अर्जित किया जाता है वह केवल स्वयं के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के कल्याण के लिए होता है.
  2. जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, दुर्भाग्यवश उनकी प्राकृतिक स्वतंत्रता अक्सर पुरानी शिक्षा प्रणाली के कारण बिगड़ जाती है. स्कूल में वे कई चीजें सीखते हैं वो जल्दी ही भूल जाते हैं. अपने बच्चे को केवल शिक्षित करना ही नहीं बल्कि उनके अंदर संस्कार पैदा करें.
  3. बच्चों को सुधारने का एकमात्र तरीका है उन्हें प्यार से समझाना. अगर बच्चा असभ्य हो तो आप उसे तब तक नहीं सुधार सकते जब तक वह सभ्य न हो जाए. इसलिए बच्चे को डांटने या किसी गलत चीज पर टोकने से बेहतर होगा आप उसकी ऊर्जा को किसी दूसरी जगह पर लगाएं. जैसे संगीत सीखना या कराटे आदि.
  4. बच्चे कलियों की तरह होते हैं. इसलिए उन्हें सावधानीपूर्वक और प्यार से पालें, क्योंकि वे देश के भविष्य और कल के नागरिक हैं. केवल सही शिक्षा के जरिये ही उन्हें सही दिशा दी जा सकती है.
  5. बच्चे अगर खेल में झगड़ते हैं तो केवल उनका झगड़ा वहीं तक रहता है. बच्चों के अंदर मतभेद नहीं होता. वो खुद के बीच, क्लास में या जाति या रंग भेद का अंतर नहीं समझते. वह बड़ों से ज्यादा बेहतर होते हैं. बुद्धिमान होते हैं.

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