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मशहूर कवि और लेखक मंगलेश डबराल का निधन, कविताओं से किए गए याद

देश और दुनिया में एक बड़ा तबका डबराल की रचनाओं का कायल है

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देश के जाने-माने कवि और लेखक मंगलेश डबराल का निधन हो गया है. उनके निधन पर पूरे देशभर से कई प्रतिष्ठित लोग शोक जता रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से डबराल का स्वास्थ्य ठीक नहीं था और उनका इलाज चल रहा था. पिछले दिनों उनकी कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की खबर आई थी, जिसके बाद अब 9 दिसंबर को अचानक दिल की धड़कन रुकने से उनका निधन हो गया.

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एक बड़ा तबका मंगलेश डबराल की रचनाओं का कायल है. उन्हें उनकी कमाल की लेखन शैली के चलते प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार और कुमार विकल स्मृति सम्मान भी दिया गया.

मंगलेश डबराल का जीवन

मंगलेश डबराल यूं तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, लेकिन उनके निधन पर उनके जीवन की कुछ अहम बातें जान लीजिए. डबराल का जन्म 16 मई 1948 को, उत्तराखंड के टिहरी में स्थित काफलपानी गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पूरी की. जिसके बाद मंगलेश डबराल ने कई अखबारों और पत्रिकाओं में भी काम किया. वो तीन साल तक नेशनल बुक ट्रस्ट के साहित्य सलाहकार भी रहे.

उनके पांच कविता संग्रह ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज भी एक जगह है’, ‘नये युग में शत्रु’ और तीन गद्य संग्रह ‘एक बार आयोवा’, ‘लेखक की रोटी’, ‘कवि का अकेलापन’ प्रकाशित हुए. जिन्हें लोगों ने खूब पंसद भी किया.

इसके साथ ही वाणी प्रकाशन के मुताबिक, डबराल ने कई अंग्रेजी लेखकों की कविताओं को हिंदी में लिखा. यानी उनका अनुवाद किया. उन्होंने बेर्टोल्ट ब्रेश्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर, यानिस रित्सोस, जि़्बग्नीयेव हेर्बेत, तादेऊष रूज़ेविच, पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल, डोरा गाबे आदि की कविताओं का अंग्रेजी से अनुवाद किया. वो समाज, संगीत, सिनेमा और कला पर समीक्षात्मक लेखन भी करते रहे. भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेजी, रूसी, जर्मन, डच, फ्रांसीसी, स्पानी, इतालवी, पुर्तगाली, बल्गारी, पोल्स्की आदि विदेशी भाषाओं में मंगलेश डबराल की कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हैं.

कुछ खूबसूरत लाइनें

तुम्हारा प्यार एक लाल रुमाल है

जिसे मैं झंडे सा फहराना चाहता हूं

तुम्हारा प्यार एक पेड़ है

जिसकी हर ओट से मैं तारों को देखता हूं

तुम्हारा प्यार एक झील है

जहां मैं तैरता हूं और डूबा रहता हूं

तुम्हारा प्यार पूरा गांव है

जहां मैं होता हूं

मुझे रात को भी सुबह चूल्हा जलाने की फिक्र रहती है

घर-गिरस्ती वालों के लिए, रात में उजाले का क्या काम

बड़े-बड़े लोगों को ही होती है अंधेरे में देखने की जरूरत

patrakar Praxis नाम के यूट्यूब पेज पर डबराल की कविता का फिल्मांकन

कविताओं के जरिए लोगों ने किया याद

मंगलेश डबराल के निधन पर कई लेखकों ने उन्हें याद किया है और कहा है कि उनकी कविताएं सभी के लिए कितना मायने रखती थीं. पत्रकार और लेखक नीलांजना रॉय ने डबराल के निधन पर उनकी एक रचना पोस्ट करते हुए लिखा कि वो इस नुकसान से काफी दुखी हैं.

ठीक इसी तरह मशहूर लेखक और कवि को कई लोगों ने उनकी कविताओं के साथ याद किया.

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