कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने सरकार से बातचीत के बाद कहा है कि सरकार उन्हें बांटने की कोशिश कर रही है. समयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि किसी भी हाल में कृषि कानून रद्द होने चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन और तेज होगा और दिल्ली के बाकी बॉर्डर भी सील कर दिए जाएंगे.
सरकार ने की बांटने की साजिश
किसान नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, सरकार की जो साजिश थी कि ये सिर्फ पंजाब के लोगों का ही प्रदर्शन है, इसे हमने विफल किया. हमने इसे देश के आंदोलन के रूप में सरकार के सामने रखा.
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने पहले जहां हमें बांटने की कोशिश की, वहीं अब इस मुद्दे को टालने की भी कोशिश कर रही है. बैठक के बाद सरकार की कोशिश ये थी कि संगठनों को आपस में ही डिवाइड कर दिया जाए. इस साजिश को कल नाकाम किया गया.
किसान नेताओं ने कहा कि वो सरकार को साफ कर चुके हैं कि कोई भी छोटी कमेटी नहीं बनाई जाएगी. पंजाब के किसान संगठनों ने तय किया है कि वो सरकार को हर कानून का अलग से बिंदुवार ब्योरा देंगे और बताएंगे कि कैसे ये किसान विरोधी हैं. किसानों ने कहा कि इसके बाद अगर सरकार इन्हें नहीं मानती है तो हमारा आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार तुरंत स्पेशल पार्लियामेंट सेशन बुलाए और इन तीनों कानूनों को खत्म करे.
वहीं किसानों से मुलाकात को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, भारतीय किसान यूनियन को जो ड्राफ्ट देना था वो रात तक आएगा. हम इंतजार में हैं. जब उनका ड्राफ्ट आएगा तो हम कल उस पर चर्चा करेंगे.
अब देशव्यावी होगा आंदोलन
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने फिर मुलाकात के लिए बुलाया है. लेकिन अगर कानून रद्द नहीं किए जाते हैं तो टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और तमाम जगहों पर प्रदर्शन जारी रहेगा. साथ ही ये पूरे देश में फैलेगा. किसानों ने फिर एक बार सरकार को चेतावनी दी कि वो दिल्ली के सभी बॉर्डर पूरी तरह से सील कर देंगे. समयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि उन्हें देशभर के कई राज्यों के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है.
किसान नेताओं ने कहा कि 3 दिसंबर के दिन भोपाल गैस कांड हुआ था. इसीलिए किसानों ने तय किया है कि इस दिन को अडानी, अंबानी जैसे कॉर्पोरेट्स के खिलाफ मनाया जाए. पूरे देशभर में इसका विरोध हो. साथ ही 5 दिसंबर को इसी मामले को लेकर पूरे देश में पुतला दहन का कॉल दिया गया है.
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