3 कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंप दी है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब 5 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
3 कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट
3 सदस्यों वाली इस कमिटी के एक सदस्य अर्थशास्त्री अनिल धनवत ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि, “19 मार्च को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा कर दी गई है. “
हालांकि रिपोर्ट को लेकर अभी तक कोई तथ्य सामने नहीं आए हैं. लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि कमेटी ने किसान संगठनों और कृषि मामलों के एक्सपर्ट्स से बात करके अपनी रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट में संसद में पास हुए 3 कृषि कानूनों की समीक्षा की गई है. 3 कृषि कानूनों को लेकर बनी इस कमेटी की रिपोर्ट पर 5 अप्रैल को सुनवाई होगी.
इससे पहले 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को लेकर 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 3 सदस्यों की इस कमेटी का गठन किया था.
3 कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में अनिल धनवत, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी हैं. PTI के अनुसार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सुप्रीम कोर्ट और कोर्ट द्वारा गठित कमिटी पर विश्वास जताया है. उन्होंने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है.
हालांकि 3 कृषि कानूनों पर गठित इस कमेटी का संयुक्त किसान मोर्चा समेत प्रदर्शनकारी 40 किसान संगठनों ने विरोध किया था और इसे सरकार के पक्ष में बताया था.
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी
केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले करीब 4 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली से लगी सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा और यूपी समेत कुछ राज्यों के किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है.
किसान संगठन और उससे जुड़े नेताओं की मांग है कि केंद्र सरकार इन तीनों कृषि कानूनों को वापस ले और फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी दे.
सयुंक्त किसान मोर्चा ने होली से एक दिन पहले होलिका दहन में तीन कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई. दिल्ली की सीमाओं पर लगे किसानों के टेंटों पर किसानों ने कृषि कानूनों को किसान और जनता विरोधी करार देते हुए होली मनाई. किसानों ने इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार मानते हुए कहा कि इन कानूनों को रद्द करना ही पड़ेगा और MSP पर कानून बनाना ही पड़ेगा.
संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद की ओर मार्च निकालने का ऐलान किया है. मई महीने के पहले पखवाड़े यानि 1 से 15 मई के बीच किसान संगठन मार्च निकालेंगे. इसमें किसानों के साथ-साथ बेरोजगार युवा, श्रमिक, महिलाएं और दलित-आदिवासी व बहुजन समाज के लोग शामिल होंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह मार्च शांतिपूर्ण होगा.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि, सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से MSP और PDS व्यवस्था खत्म करने के कई प्रयास किये जा रहे हैं. पिछले कई सालों से FCI के बजट में कटौती की जा रही है. हाल ही में FCI ने फसलों की खरीद प्रणाली के नियम भी बदले. सयुंक्त किसान मोर्चा की आम सभा मे यह तय किया गया है कि आने वाली 5 अप्रैल को FCI बचाओ दिवस मनाया जाएगा.
केंद्र सरकार की किसान संगठनों से अपील
3 कृषि कानूनों पर किसानों के साथ गतिरोध को दूर करने के लिए केंद्र सरकार लगातार किसान संगठनों से वार्ता की बात कह रही है. हालांकि अभी तक इस संबंध में कोई ठोस पहल नहीं हुई है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कह चुके हैं कि केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.
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