कृषि कानूनों पर किसान और सरकार आमने सामने हैं. तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग मानने के लिए सरकार राजी नहीं है, ऐसे में अब किसानों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में तीनों कानून को रद्द किए जाने के लिए किसान संगठन ने एक याचिका दाखिल की है. भारतीय किसान यूनियन भानू गुट की तरफ से ये याचिका दाखिल की गई है.
बीकेयू (भानू) ने ये फैसला सरकार के उस प्रस्ताव को खारिज करने के बाद लिया है जिसमें मोदी सरकार ने कहा है कि वह कृषि कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन को तैयार है. लेकिन किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानून वापस ले.
याचिका में कहा गया है कि नए कानून‘अवैध और मनमाने’ हैं. कृषि क्षेत्र को निजीकरण की ओर धकेलने वाले हैं. नए किसानों को बिना किसी सही चर्चा के पास किया गया. कानून पास होने के बाद सरकार ने चर्चा की है, लेकिन सरकार से साथ सभी मुलाकातें बेनतीजा निकलीं. इसके अलावा कृषि कानून पर पुरानी याचिकाओं को भी जल्द सुना जाए.
पहले ही पांच याचिकाओं पर सुनवाई बाकी
बता दें कि 3 नए कृषि कानूनों को लेकर पर सुप्रीम कोर्ट में पांच याचिकाएं पहले से दी हुई हैं, जिसे लेकर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. इनमें DMK के तिरुचि सिवा, आरजेडी के मनोज झा, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के राकेश वैष्णव की याचिकाएं भी शामिल की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर के तीसरे हफ्ते में इन याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है.
कृषि मंत्री ने कहा- सरकार कानून में सुधार लाने को तैयार
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों के बीच एमएसपी को लेकर जो शक है उसे लेकर आज कहा,
भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं. सरकार बात करके उसमें (कानून) सुधार करने के लिए तैयार है. सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में पड़े हुए हैं. आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है. इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको (किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए.
बता दें कि किसानों ने कानून वापस ना होते देख अपना आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है. किसान संगठनों ने दिल्ली आने वाले रास्तों को बंद करने के साथ ही देश के सभी नाकों को टोल फ्री करने की बात कही है. इसके अलावा रेल ट्रैक को भी बंद करने का अह्वान किया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)