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नोटबंदी पर सरकार का कबूलनामा,कैश की कमी ने किसानों को किया बर्बाद

नोटबंदी के दौरान कैश की कमी का किसानों पर पड़ा बुरा असर

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सरकार ने खुद माना है कि नोटबंदी की वजह से देश के लाखों किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है लाखों किसान नोटबंदी वजह से रबी की फसल के लिए बीज और खाद नहीं खरीद सके.

द हिंदू की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय ने वित्त मामलों पर बनी संसद की स्थायी समिति को भेजी रिपोर्ट में यह बात मानी है कि नोटबंदी ने किसानों को नुकसान पहुंचाया.

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पीएम मोदी ने चुनावी रैली में नोटबंदी को लेकर दिया था ये बयान

यह खुलासा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मध्य प्रदेश के झाबुआ में हुई उस रैली के ठीक एक दिन बाद हुआ, जिसमें पीएम ने कहा था कि काले धन की बीमारी खत्म करने के लिए उन्होंने नोटबंदी की कड़वी दवा दी थी. उन्होंने दावा किया था कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उन्होंने इसकी जड़ पर चोट की है.

कृषि मंत्रालय, श्रम और रोजगार और एमएसएमई मंत्रालय ने मंगलवार को वित्त मामलों की संसद की स्थायी समिति के प्रमुख कांग्रेस सांसद वीरप्पा मोइली को नोटबंदी के असर पर ब्रीफ किया था.

कैश की कमी

द हिंदू के मुताबिक, कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है नोटबंदी ऐसे वक्त में हुई जब किसान या तो खरीफ की फसल बेच रहे थे या रबी की बोआई कर रहे थे. इन दोनों कामों में काफी कैश खर्च होता है. लेकिन नोटबंदी की वजह से मार्केट में कैश खत्म हो गया. रिपोर्ट में कहा गया गया है कि भारत में 26 करोड़ से ज्यादा किसान कैश इकोनॉमी पर निर्भर हैं. लेकिन नोटबंदी के बाद कैश में कमी आने से किसान रबी की फसल के लिए बीज और खाद के लिए उनके पास पैसा नहीं था. यहां तक कि बड़ी जोत वाले किसानों को भी खेतों में काम करने वाले अपने मजदूरों को देने के पैसे नहीं थे. बीज और खाद के लिए तो कैश की कमी हो ही रही थी.

कैश की कमी की वजह से नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन भी गेहूं के 1.38 लाख क्विंटल बीज नहीं बेच सका.

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स्टैंडिग कमेटी में कड़े सवाल

आखिर में कॉरपोरेशन ने बीज खरीदने के लिए पुराने 500 और 1000 रुपये के नोट लेने शुरू कर दिए थे. इस मामले में ब्रीफ के दौरान स्टैंडिंग कमेटी के कई सदस्यों ने कड़े सवाल पूछे.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद दिनेश त्रिवेदी ने पूछा कि क्या सरकार ने CMIE की उस रिपोर्ट का नोटिस लिया था, जिसमें कहा गया था कि नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल 2017 के बीच 15 लाख रोजगार खत्म हो गए.

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