नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में खेती-किसानी से जुड़े तीन बिल पेश किए हैं. तीन में से दो बिल राज्यसभा से पास भी हो गए. कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां इन बिलों का विरोध कर रही हैं. किसान भी हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में सड़क पर उतर कर इन बिलों का विरोध कर रहे हैं. सरकार इसे किसानों के हित वाला बता रही है तो विपक्ष इसे 'काला कानून' कह रहा है.पक्ष और विपक्ष के पास अपनी अपनी दलीलें हैं. सदनों में बिल के पास होने में जो हंगामा हुआ, उसका नतीजा ये हुआ कि राज्यसभा के कुछ सदस्यों को निलंबित तक किया गया है. निलंबित राज्यसभा सदस्य संसद भवन के परिसर में ही धरने पर बैठ चुके हैं.
लेकिन इन सारी बातों के बीच भारतीय कृषि और भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों के बारे में ये फैक्ट आपको जरूर जानने चाहिए :
- NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में 10,281 किसानों की आत्महत्या से मौत हुई है. ज्यादातर मौतें की पीछे बढ़ता हुआ कर्ज था.
- उसी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आत्महत्या से हुई कुल मौतों में से 7.4 फीसदी किसानों की मौतें थी.
- साल 2014,15 के GVA यानी Gross Value Added में कृषि का 18.2% था. 2019,20 में ये घटकर 16.5% हो गया है.
- भारत की 70 फीसदी ग्रामीण जनता की जीवनी सीधे तौर पर कृषि पर आधारित है.
- पिछले 6 सालों से कृषि का सालाना वृद्धि दर 0.02 प्रतिशत ही बढ़ा है. 2014,15 में 2.88 फीसदी था और 2019,20 में 2.90 फीसदी ही पहुंच पाया है.
- भारत सरकार ने 2022 तक कृषि से होने वाली आय को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया है. लेकिन फिलहाल ये दूर की कौड़ी दिखती है. उदाहण के लिए बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र ने PM KISAN योजना के लिए 14.5 करोड़ कृषि आधारित परिवारों की गणना की थी, लेकिन योजना का लाभ केवल 9 करोड़ परिवारों तक पहुंचा है.
- 1951 से 2011 तक कृषि का GDP में योगदान लगातार गिरता आया है.
- भारत में 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिन पर किसान दिवस मनाया जाता है. 6 महीने से भी कम के कार्यकाल में चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए कई नीतियां लायीं थीं.
- 2019 में Central Institute of Post Harvest Engineering & Technology में हुए एक सर्वे के मुताबिक भारत में 16 फीसदी फल और सब्जियों की फसल हर साल बर्बाद होती है. इसका कारण है कोल्ड स्टोरेज की खराब व्यवस्था. इस सर्वे को कैबिनेट मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में भी किया था.
- भारत आज भी दुनिया के एक चौथाई भूखे लोगों का, और 190 करोड़ कुपोषित/अल्पपोषित लोगों का घर है.
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