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किसान संगठनों की मांग, मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो  

संगठनों ने 16 जून को देशभर के राजमार्गो पर तीन घंटे के लिए यातायात बंद करने का फैसला किया है.

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भारत
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आंदोलन कर रहे मालवा के किसानों को मनाने के लिए भोपाल में उपवास पर बैठे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कवायद के बीच राष्ट्रीय किसान महासंघ ने मध्यप्रदेश सरकार की बर्खास्तगी की मांग की है.

महासंघ ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए शनिवार को एक प्रस्ताव पारित किया. महासंघ के अंतर्गत 62 किसान संगठन आते हैं. नरेंद्र मोदी सरकार की 'किसान विरोधी नीतियों' के खिलाफ आक्रोश जताने के लिए इन संगठनों ने 16 जून को देशभर के राजमार्गो पर तीन घंटे के लिए यातायात बंद करने का फैसला किया है.

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हमने 15 जून तक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का फैसला किया है, क्योंकि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार किसानों की समस्याओं का समाधान करने में विफल रही है. इन सरकारों का पूरा ध्यान उद्योगपतियों का भला करने पर है, किसानों की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं है. गरीब और किसान शब्द इनके लिए सिर्फ भाषणों में काम आने वाले शब्द मात्र रह गए हैं. इसलिए हम 16 जून को राष्ट्रीय राजमार्गों पर दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक लिए यातायात बाधित करेंगे
दीपक शर्मा, प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन
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महासंघ ने लागत मूल्य पर 50 फीसदी के मुनाफे की मांग की है, जिसका वादा साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने किया था. साथ ही सूखा और अपने उत्पादों पर हुए कम मुनाफे के कारण वित्तीय भार के मद्देनजर कर्ज माफी की भी मांग की है.

राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के महासचिव नरेश सिरोही ने कहा कि सभी किसानों को प्रदर्शन मार्च का वीडियो शूट करने को कहा गया है.

हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन बीजेपी सरकार ने हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए बर्बर तरीके अपनाए. इसलिए हमने किसानों को प्रदर्शन का वीडियो शूट करने के लिए कहा है.
नरेश सिरोही

सिरोही ने कहा कि जारी आंदोलन की अगली कार्रवाई के लिए सभी किसान संघ 18 जून को बैठक करेंगे.

इस बीच, ऑल इंडिया किसान सभा ने मंदसौर घटना के खिलाफ 14 जून को देशभर में विरोध दिवस मनाने का फैसला किया है.

-इनपुट IANS से

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