दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल व राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक चल रही है, जिसमें किसानों ने तीनों कानून वापस लेने की मांग लिखित में की है. इसके अलावा किसानों ने पराली जलाने पर केस वाले प्रावधान भी खत्म करने की मांग की है.
किसान संगठनों ने इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट एक्ट 2020 जो आने वाला है उसको लेकर भी लिखित में आपत्ति जताई. किसानों ने कहा कि सरकार एमएसपी पर लिखित आश्वासन क्यों नहीं देती? नये कृषि काूननों से किसानों के सामने पैदा होने वाली समस्याओं से सरकार को रूबरू कराने के लिए इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है.
बैठक से पहले कृषि मंत्री ने कहा था-
भारत सरकार किसानों से लगातार चर्चा कर रही है और मुझे आशा है कि चर्चा के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे. चौथे चरण की चर्चा में कोई न कोई पक्ष जरूर निकलेगा.
नये कृषि काननू को लेकर केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान नेताओं की यह चौथी बैठक है. इससे पहले, एक दिसंबर और 13 नवंबर को किसान नेताओं के साथ मंत्री स्तर की वार्ता हुई थी. जबकि मंत्रालय के अधिकारियों के साथ नये कानूनों को लेकर किसान प्रतिनिधियों की वार्ता इन बैठकों से पहले ही हुई थी.
उधर, दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे किसानों का आंदोलन गुरुवार को आठवें दिन जारी है और आंदोलन का दायरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ कई अन्य राज्यों के किसान संगठनों के साथ-साथ ट्रांसपोटरों के एसोसिएशन ने भी किसान आंदोलन को समर्थन दिया है।
किसान नेताओं ने सरकार के साथ चल रही चौथे दौर की वार्ता विफल होने की सूरत में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है. सिंघु बॉर्डर पर बुधवार को किसान संगठनों की बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी बयान में कहा गया कि सरकार के साथ गुरुवार की बातचीत बेनतीजा रहने पर वे आंदोलन को और तेज करेंगे.
इस बीच CPI कार्यकर्ताओं ने किसान आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करते हुए दिल्ली-जयपुर हाईवे को ब्लॉक किया. प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है "सरकार को ये काले कानून वापिस लेने पड़ेंगे. अगर आज की वार्ता सफल नहीं होती है तो ये आंदोलन और तेज होगा."
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