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दिल्ली बॉर्डर से लौटे UP के किसान-‘धोखा दिया तो फिर आएंगे’

किसानों का यह मार्च सहारनपुर से शुरू हुआ था. 

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दिल्ली की तरफ कूच कर रहे यूपी के किसान फिलहाल मान गए हैं. सहारनपुर से मार्च करते हुए ये किसान नोएडा पहुंचे थे. शुक्रवार रात नोएडा में बिताने के बाद बाद शनिवार को किसान दिल्ली की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन उन्हें बॉर्डर पर ही रोक लिया गया.

किसानों का नेतृत्व कर रहे ठाकुर पूरन सिंह ने कहा है कि सरकार ने उनकी 15 में से 5 मांगें मानी हैं, लेकिन ये पूरी नहीं हुईं तो सहारनपुर से फिर मार्च होगा

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किसानों की कुछ प्रमुख मांगें

  1. कर्जमाफी
  2. गन्ने का बकाया भुगतान
  3. गन्ना की ज्यादा कीमत
  4. कम बिजली बिल

इस प्रदर्शन के चलते नोएडा में ट्रैफिक जाम हो गया. किसानों ने नोएडा से अक्षरधाम और आईटीओ होते हुए किसान घाट तक मार्च करने का प्लान बनाया था. इस वाले मार्च में लगभग 500 किसान शामिल थे. लेकिन उन्हें दिल्ली में नहीं घुसने दिया गया. इसके चलते किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर ही अलग-अलग जगह डेरा डाल दिया.

पूरे रूट पर पुलिस प्रशासन का कड़ा बंदोबस्त किया गया था. उत्तरप्रदेश और दिल्ली दोनों की पुलिस इस बंदोबस्त में शामिल थी. यह मार्च सहारनपुर से चालू हुआ था.

दोपहर 12 बजे के आसपास खबर आई थी कि 11 किसानों का प्रतिनिधि दल कृषि मंत्रालय जाएगा. इसके बाद किसानों को पुलिस की गाड़ियों में कृषि मंत्रालय ले जाया गया.

संगठन के अध्यक्ष ठाकुर पूरन सिंह के मुताबिक, केंद्र सरकार ने कर्जमाफी कर दी है. लेकिन इसका फायदा केवल कुछ किसानों को ही मिला है. अभी भी हजारों किसान कर्ज के तले दबे हुए हैं. सरकार ने हमसे वायदा किया था, हम चाहते हैं कि सरकार उसे ही पूरा करे.

पूरन सिंह के मुताबिक, किसान किसी तरह की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे सिर्फ अपने अधिकार की बात कर रहे हैं.

किसानों को क्यों करा रहे चुप: प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर किसानों की समस्याओं के लिए बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया. प्रियंका के मुताबिक, ‘जब बीजेपी अपने प्रचार में किसानों की भलाई बताती फिरती है तो क्यों उन्हें दिल्ली आकर अपनी मांग नहीं उठाने दिया जा रहा.’

किसानों और कृषि मंत्रालय के अफसरों के बीच शुक्रवार को नोएडा के सेक्टर 63 में भी काफी देर बात चली थी. अफसरों ने मांगें पूरी करने का वादा किया लेकिन जब किसानों ने डेडलाइन मांगी तो अधिकारियों ने गोलमोल जवाब दिया. इसी से नाराज होकर किसान नेताओं ने बातचीत विफल हो जाने का ऐलान कर दिया था.

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