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किसान आंदोलन के 36 दिन, नए साल में दूर होंगी किसानों की आशंकाएं?

अब नए साल में चार जनवरी को अगले दौर की वार्ता होगी, जिसमें बाकी दो मसलों के समाधान तलाशने पर चर्चा होगी.

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भारत
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किसान आंदोलन का गुरुवार को 36वां दिन है. प्रदर्शनकारी किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर जमे हुए हैं और उनको नए साल में सरकार के साथ होने वाली 7वें दौर की वार्ता में नए कृषि कानून व एमएसपी के मसले का समाधान होने की उम्मीद है, जिसके बाद वे आंदोलन समाप्त करेंगे. किसान संगठनों ने बहरहाल 4 जनवरी तक आंदोलन तेज न करने का ऐलान किया है. केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों पर गतिरोध दूर करने को लेकर सरकार और किसान नेताओं के बीच बुधवार को हुई छठे दौर की औपचारिक वार्ता सकारात्मक रही, जिसमें किसानों की दो मांगों पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी. अब नए साल में चार जनवरी को अगले दौर की वार्ता होगी, जिसमें बाकी दो मसलों के समाधान तलाशने पर चर्चा होगी.

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अभी भी दो अहम मुद्दे हल होने का इंतजार

आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों के नेता बुधवार को छठे दौर की वार्ता से संतुष्ट हैं, मगर उन्हें दो अहम मुद्दे हल होने का इंतजार है. पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) ने गुरुवार को आईएएनएस से कहा कि सरकार ने किसानों के मसलों के समाधान की दिशा में एक कदम बढ़ाया है, इसलिए 4 जनवरी को होने वाली वार्ता तक ट्रैक्टर रैली के कार्यक्रम को रोक दिया है.

उन्होंने बताया कि बुधवार को केंद्रीय मंत्रियों के साथ सभी चार मुद्दों पर बातचीत हुई, लेकिन तीनों कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया और फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की गारंटी के मसले का समाधान नहीं निकला, क्योंकि सरकार की तरफ से फिर कानूनों में संशोधन की बात दोहराई गई और एमएसपी पर लिखित गारंटी की पेशकश की गई. हरिंदर सिंह ने कहा, "जब पहले दो मुद्दों पर बात सिरे नहीं चढ़ी तो हमलोगों ने कहा कि बाकी दो मुद्दों पर बात कर लेते हैं, जिन पर सरकार ने पहले भी विचार करने का आश्वासन दिया था."

पराली दहन और बिजली सब्सिडी से जुड़े किसानों की दो मांगें बुधवार को मान ली. इस पर भारतीय किसान यूनियन (मानसा) के प्रेसीडेंट बोध सिंह मानसा ने आईएएनएस से कहा, "सरकार ने हमारी दो मांगे मान ली है और हो सकता है कि बाकी भी दो मांगों पर विचार-विमर्श करने के बाद सरकार उसे मान ले."

उन्होंने कहा कि एमएसपी बड़ा मसला है और सरकार उस पर भी गंभीरता से विचार कर रही है. बोध सिंह ने किसानों के बाकी दो मसलों के भी सकारात्मक समाधान निकले की उम्मीद जाहिर की.

5 दिनों की वार्ता के बाद 22 दिनों तक बना रहा गतिरोध

तीन कृषि कानूनों के विरोध में सड़कों पर उतरे किसानों और सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता के बाद 22 दिनों तक गतिरोध बना रहा, लेकिन 30 दिसंबर को हुई छठे दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों में सकारात्मक माहौल बना है. छठे दौर की वार्ता के बाद बुधवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान यूनियनों और सरकार के बीच दो मसलों पर यानी 50 फीसदी रजामंदी हो गई है और बाकी दो मुद्दों पर चार जनवरी को अगले दौर की वार्ता में सहमति बनाने की कोशिश की जाएगी.

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों के नेताओं की तरफ से बुधवार की वार्ता में चार मुद्दे रखे गए थे, जिनमें तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं, और किसानों के हितों की रक्षा के लिए विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लेने की प्रक्रिया.

केंद्र सरकार ने पराली दहन से जुड़े अध्यादेश में भारी जुर्माना व दंड के प्रावधान से किसानों को मुक्त रखने और बिजली अनुदान की वर्तमान व्यवस्था को आगे भी बनाए रखने- ये दो मांगें मान ली हैं.

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