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किसान आंदोलन: आगे की रणनीति क्या होगी? SKM और BKU का ‘प्लान’

19 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चे और BKU जैसे संगठनों की तरफ से आगे की रणनीति को लेकर कई अहम बातें कही गईं.

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करीब तीन महीने से कई राज्यों के किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी है. सरकार-किसान के बीच जो कई राउंड की बातचीत हुई थी वो भी अब बंद हो चुकी है. सरकार अड़ी है कि जो प्रस्ताव कृषि मंत्री दे रहे हैं अगर वो किसान मान लेते हैं तब ही बातचीत होगी वहीं किसान डटे हैं कि किसान कानूनों को खत्म करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है. सरकार और किसान के बीच चल रहे इस गतिरोध के बीच-बीच में कई नए एंगल सामने आ गए, रिहाना के ट्वीट के बाद मचा बवाल तो अब टूलकिट केस में गिरफ्तारियां भी हो गई हैं. कुल मिलाकर किसान प्रदर्शन का मुद्दा जस का तस बना हुआ है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि किसानों की आगे की रणतनीति क्या है.

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19 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चे और BKU जैसे संगठनों की तरफ से आगे की रणनीति को लेकर कई अहम बातें कही गईं. एक-एक कर जानते हैं.

बॉर्डर पर 10 जिलों से 200 ट्रैक्टरों के साथ 2000 किसान रहेंगे मौजूद : BKU

19 फरवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की अहम बैठक हुई. जिसमें मेरठ ,सहारनपुर ,मुरादाबाद मंडल के 11 जि़लों के जिला अध्यक्षों ने हिस्सा लिया. हालांकि किसान नेता चाहते हैं कि आंदोलन को और मजबूती के साथ आगे बढ़ाना चाहिए. बॉर्डर पर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, गौतमबुद्धनगर, मुरादाबाद, रामपुर, सम्भल, बिजनोर, अमरोहा जिले के पदाधिकारियों से आंदोलन की आगमी रणनीति पर चर्चा की गयी और किसान आंदोलन से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए. बैठक में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि,

“किसान कुर्बानी को तैयार रहें, कृषि कार्य के दबाव में आंदोलन को ठंडा न होने दें. खेती से ज्यादा आंदोलन पर ध्यान दिया जाय. आंदोलन में बॉर्डर पर आने वाले किसानों के कृषि कार्य को प्रभावित न होने दें.”

वहीं बैठक में तय किया गया कि किसी भी हाल में आंदोलन को कमजोर नही होने दिया जाए, आसपास के 10 जिलों से 2000 लोग हमेशा मौजूद रहेंगे.

23 फरवरी को मनाएंगे 'पगड़ी संभाल' दिवस- संयुक्त किसान मोर्च

इस बीच सयुंक्त किसान मोर्चा ने वाली 23 फरवरी को 'पगड़ी संभाल दिवस' मनाने के लिए आह्वान किया है. शहीद भगत सिंह के चाचा और 'पगड़ी संभाल' आंदोलन के संस्थापक 'चाचा अजीत सिंह' की याद में किसानों के आत्मसम्मान में इस दिन को मनाया जाएगा. किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली के चारों तरफ आन्दोलन कर रहे है. संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि "ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों पर चाचा अजीत सिंह के पोस्टर- बैनर लगाकर इस कार्यक्रम में भाग लें."

दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में तीन दलित बहनों में से दो की खेत में मृत पाए जाने और एक की हालत नाजुक होने पर सयुंक्त किसान मोर्चा ने पीड़ित परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.

संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की शासन-प्रशासन व्यवस्था एक बार फिर शक के घेरे में है, जहां महिलाओं के लिए कोई भी सुरक्षित स्थान नहीं है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि, "हम सरकार से मांग करते हैं कि पीड़ित को बेहतर मेडिकल सुविधा उपलब्ध करवाएं. हम इस घटना की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच कराने तथा दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग करते हैं."

महापंचायत छोड़ दिल्ली बॉर्डर पकड़ने की अपील

हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने शुक्रवार को कहा आज पंचायतों का जो दौर शुरू हो गया है उसकी पंजाब और हरियाणा में कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, "सभी भाइयों से मेरा अनुरोध है कि हरियाणा और पंजाब में वे कोई महापंचायत नहीं रखें और ज्यादा ध्यान धरना पर दें. एक सिस्टम बनाएं कि हर गांव से एक खास संख्या में लोग धरना स्थल पर स्थाई तौर पर रहेंगे."

गुरनाम सिंह ने किसानों से हर गांव व मुहल्ले में संगठन बनाकर आंदोलन को लंबे समय तक चलाने की योजना बनाने की अपील की और आंदोलनकारियों को आने वाले दिनों में फसल कटाई के दौरान परस्पर सहयोग से खेती-किसानी का काम चलाने की सलाह दी.

किसान आंदोलन में पंजाब के 32 किसान यूनियन शामिल हैं. यूनियनों के नेताओं ने बताया कि उन्होंने एक बैठक करके पंजाब में कोई किसान महापंचायत आयोजित नहीं करने का फैसला लिया है और पूरी ताकत किसान आंदोलन को चलाने में झोंकने की रणनीति बनाई है.

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