किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र पर नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) का इस्तेमाल कर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन का समर्थन कर रहे लोगों को टारगेट करने का आरोप लगाया.
कृषि संगठनों ने 15 जनवरी को केंद्र सरकार के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई नौवें दौर की बातचीत में भी इस मुद्दे को उठाया. इस दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है. केंद्र ने तीनों कानूनों को वापस लेने पर बातचीत करने से इनकार कर दिया और किसान प्रतिनिधियों ने कानूनों में संशोधन की बात नहीं स्वीकारी.
बैठक में मौजूद एक किसान प्रतिनिधि ने क्विंट को बताया, "पंजाब के ट्रांसपोर्टर्स को NIA ने समन किया है. ये प्रदर्शन पर दबाव बनाने का तरीका है. हमने ये मुद्दा मंत्रियों के सामने उठाया है."
राष्ट्रीय किसान महासंघ के अभिमन्यु कोहार ने फ्रीलांस पत्रकार संदीप सिंह को बताया कि 'प्रदर्शन में शहीद हुए लोगों के लिए फंड भेजने वाले लोगों और किसानों को NIA ने नोटिस भेजा है.' उन्होंने कहा, "हमने ये मुद्दा उठाया और मंत्रियों से कहा कि सरकार विरोध को दबाना चाहती है."
NIA ने अमेरिका स्थित सिख्स फॉर जस्टिस संगठन के खिलाफ दर्ज FIR के सिलसिले में पंजाब में कई लोगों को नोटिस जारी किए हैं.
इनमें से एक कृषि यूनियन नेता बलदेव सिंह सिरसा हैं. समन के जवाब में सिरसा ने कहा कि ‘ये सरकार की प्रदर्शनों को कमजोर करने की कोशिश है.’
एक्टर दीप सिद्धू और उनके भाई को भी समन मिले हैं. ये दोनों ही प्रदर्शन में शामिल हुए थे.
इसके अलावा क्विंट ने कई नोटिस एक्सेस किए हैं. इनमें से एक टूरिस्ट बस ऑपरेटर, एक नट-बोल्ट मैन्युफेक्चरर और एक केबल टीवी ऑपरेटर है. हालांकि, और भी लोगों को नोटिस भेजे गए हैं, जिनमें एक पत्रकार और अलग-अलग NGO के लिए काम करने वाले लोग शामिल हैं.
इन नोटिस और समन को सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल के उस बयान से जोड़ कर भी देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'प्रदर्शन में खालिस्तानी घुस गए हैं.'
किसान संगठनों का खालिस्तान विरोधी रहने का लंबा इतिहास रहा है. संगठन कहते हैं कि ये प्रदर्शन को बदनाम करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है.
शिरोमणि अकाली दल ने भी केंद्र पर NIA का इस्तेमाल कर किसानों का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है.
FIR में क्या कहा गया?
संबंधित FIR 40/2020 15 दिसंबर 2020 को दिल्ली में तीन आरोपियों के खिलाफ दर्ज हुई थी. ये तीन लोग हैं- अमेरिका के गुरपतवंत सिंह पन्नू, यूके के परमजीत सिंह पम्मा और कनाडा के हरदीप सिंह निज्जर. पन्नू सिख्स फॉर जस्टिस के प्रमुख हैं.
FIR कहती है, "केंद्र सरकार को जानकारी मिली है कि सिख्स फॉर जस्टिस और दूसरे कई खालिस्तानी आतंकी संगठन डर का माहौल बनाने और लोगों के बीच असंतोष फैलाने की साजिश कर रहे हैं और लोगों को सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए उकसा रहे हैं."
FIR में आरोप लगाया गया कि इस 'साजिश' के लिए 'विदेश में फंड इकट्ठे' किए जा रहे हैं.
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