केंद्र सरकार के विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ किसान (Farmers Protest) पिछले करीब 8 महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं. राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को तुरंत रद्द कर दिया जाए. इसे लेकर सरकार और किसानों के बीच कई राउंड की बातचीत भी हुई, लेकिन पिछले कई हफ्तों से बातचीत बंद है. ऐसे में अब किसान संगठनों ने ऐलान किया है कि वो बीजेपी सरकार के कानूनों खिलाफ अभियान शुरू करेंगे. जैसा पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान हुआ था, ठीक वैसे ही आने वाले विधानसभा चुनावों में भी किसान लोगों तक अपनी बात पहुंचाएंगे.
किसानों की यूपी में मोर्चे की तैयारी?
किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अब यूपी की राजधानी लखनऊ को भी दिल्ली बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली की सभी सीमाओं को सील किया गया है, वैसे ही लखनऊ की सीमाओं पर किसान बैठेंगे. टिकैत ने कहा कि अगर सरकार स्पष्टीकरण नहीं देती है तो उसके लिए हम तैयारी करेंगे. बता दें कि यूपी में अगले कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में किसान संगठनों ने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है.
किसान नेता राकेश टिकैत ने इस दौरान बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये सरकार ज्यादा ताकतवर हो रही है और जो ताकवर सरकार होती है वो सींग मार रही है. जब टिकैत से पूछा गया कि उन पर पैसे लेकर आंदोलन करने का आरोप लग रहा है, तो इस सवाल पर टिकैत ने कहा कि, हम पिछले 35 साल से आंदोलन कर रहे हैं. बीजेपी जब विपक्ष में थी और हमारे साथ रहती थी तो क्या ये लोग हमें पैसे देते थे? क्या ये हमारी फंडिंग करते थे?
5 सितंबर से किसान महापंचायत की शुरुआत
केंद्र सरकार के कानूनों के खिलाफ किसान संगठन अब अपना आंदोलन तेज करने जा रहे हैं. इसके लिए एक बार फिर किसान महापंचायतों का सहारा लिया जाएगा. पहली बड़ी महापंचायत 5 सितंबर को मुजफ्फरगर में आयोजित होगी. यानी यूपी के लिए किसान पूरी रणनीति तैयार कर चुके हैं.
सरकार पर दबाव बनाने के लिए 5 सितंबर की महापंचायत में देश के तमाम किसानों को बुलाया गया है. इतना ही नहीं, इसके बाद यूपी के सभी जिलों में ऐसी ही महापंचायत के आयोजन की रणनीति बनाई गई है.
उत्तर प्रदेश के अलावा किसान उत्तराखंड और पंजाब में भी प्रदर्शन का ऐलान कर चुके हैं. किसान संगठनों का कहना है कि इन राज्यों में भी किसान महापंचायतों का आयोजन किया जाएगा. बता दें कि उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. दोनों राज्यों में बीजेपी सत्ता में है. ऐसे में किसानों की ये रणनीति कहीं न कहीं बीजेपी को चुनाव में भारी पड़ सकती है.
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