किसान प्रदर्शन को गाजीपुर बॉर्डर ने एक नई लहर दी है, इसकी बात की तस्दीक वो विपक्षी नेता कर रहे हैं जो शुक्रवार के बाद से लगातार किसान प्रदर्शन में पहुंच रहे हैं. अब रविवार को शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से मुलाकात की बता दें कि अकाली दल ने किसान कानूनों के विरोध में एनडीए से नाता तोड़ लिया था.
67 दिन का हुआ किसान आंदोलन
इस आंदोलन को रविवार को कुल 67 दिन हो गए. स्थिति ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा था कि अगर किसान, कृषि मंत्री के दिए गए प्रस्ताव पर राजी हैं तो सरकार तुरंत बातचीत के लिए तैयार है. अब तक 11 दौर की बातचीत किसान और सरकार के बीच हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा है, “हम दबाव में समझौता नहीं करेंगे. गिरफ्तार किए गए हमारे किसान भाइयों को रिहा कर दिया जाए और चीजें सुव्यवस्थित हो जाएंगी, तब हम सरकार से बात करेंगे.”
प्रदर्शन को मिल रहा विपक्षी पार्टियों का समर्थन
गुरुवार को राकेश टिकैत का वीडियो सामने आने के बाद पश्चिमी यूपी, हरियाणा के अलग-अलग गांवों से किसान उठकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे. इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर में महापंचायत बुलाई गई, जिसमें भारी संख्या में किसानों ने हिस्सा ले रहे हैं. अब ये समर्थन सिर्फ किसानों के स्तर पर नहीं मिल रहा, बल्कि विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी खुलकर किसानों के समर्थन में आ रही हैं.
इससे पहले शुक्रवार को गाजीपुर बॉर्डर पर यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, अलका लांबा, आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, आरएलडी नेता जयंत चौधरी पहुंचे. शनिवार को इंडियन नेशनल लोकदल के महासचिव अभय चौटाला भी राकेश टिकैत से मिलने पहुंचे. कुल मिलाकर गाजीपुर प्रदर्शन स्थल किसान आंदोलन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है.
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