कृषि कानूनों को लेकर केंद्र और किसान आमने-सामने हैं. अब किसानों ने अपना आंदोलन तेज कर दिया है और नए-नए कदम उठाए जा रहे हैं. संयुक्त किसान आंदोलन के किसान नेताओं ने कहा कि सरकार लगातार आंदोलन को कमजोर करना चाहती है. साथ ही जब तक तीनों कानून वापस नहीं लिए जाते हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
किसानों ने कहा कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन पहले कानूनों को रद्द करने पर ही बात होगी.
कानून वापसी से कम कुछ नहीं
किसानों ने कहा कि पंजाब में सभी टोल प्लाजा को फ्री कर दिए हैं. इसके बाद अब 14 दिसंबर को सभी किसान संगठनों के नेता एक ही मंच पर बैठकर सुबह 8 बजे से लेकर 5 बजे तक अनशन पर बैठेंगे. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार को बता दिया गया है कि तीनों कानूनों पर हमारी यही मांग है कि हमें इन्हें रद्द कराना है. अगर सरकार बातचीत का न्योता देती है तो हम इससे इनकार नहीं करेंगे.
किसान नेताओं ने कहा कि हमारी पहली मांग यही है कि तीन कानून रद्द हों, जब तक सरकार इस पर नहीं मानती है तब तक हम कोई दूसरी मांग नहीं रखेंगे. हम किसानों के लिए सभी चीजों का प्रबंध कर रहे हैं. सरकार चाहती है कि इस मामले को लटका दिया जाए. लेकिन हमारे गांवों से लोग चल पड़े हैं. आज सरकार को फिर से बैरिकेड लगाए हैं कि किसान फिर ना आएं. हम शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं तो सरकार भी कोई ऐसा कदम ना उठाए.
आंदोलन को कमजोर कर रही सरकार
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार आंदोलन को कमजोर करना चाहती है. लेकिन हम इसे अंत तक जारी रखेंगे. किसानों ने कहा कि पहले हमने सरकार को कानून में कमियां बताई, इसके बाद जब सरकार ने भी मान लिया कि इसमें खामियां हैं तो इसे रद्द करने की मांग की गई. ये कानून किसानों के लिए नहीं बल्कि कॉर्पोरेट घरानों के लिए बने हैं. ये तीनों कानून एक दूसरे से जुड़े हैं.
वहीं संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि, रविवार 13 दिसंबर को सुबह 11 बजे NH-8 पर राजस्थान -हरियाणा बॉर्डर शाहजहांपुर (बहरोड़) से सैकड़ों वाहनों के साथ हजारों किसान दिल्ली की दिशा में कूच करेंगे. राजस्थान और हरियाणा के किसानों के साथ राष्ट्रीय स्तर के किसान नेता भी शामिल रहेंगे.
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