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किसान आंदोलन:कांग्रेस समेत 10 से ज्यादा दलों का भारत बंद को समर्थन

9 दिसंबर को सरकार ने फिर से किसानों को बात करने के लिए बुलाया है. 

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नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन का आज 12वां दिन है. तीन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं और 8 दिसंबर (मंगलवार) को भारत बंद का आह्वान किया है. इसी बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से लेकर कांग्रेस और ममता बनर्जी सरकार समेत कई राजनीतिक दलों ने किसानों के बंद को खुलकर समर्थन देने का ऐलान किया है.

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हालांकि 9 दिसंबर को सरकार ने फिर से किसानों को बात करने के लिए बुलाया है. लेकिन इससे पहले मोदी सरकार और किसानों के बीच हुई पांचवें दौर की बातचीत भी विफल रही थी. आइए आपको बताते हैं अब तक इस किसान आंदोलन में क्या-क्या हुआ है और कैसे किसान आंदोलन आगे बढ़ता रहा है.

  1. भारत बंद और सरकार के साथ बातचीत को लेकर 6 दिसंबर को किसान संगठनों के बीच दिल्ली-हरियाणा सिंघू बॉर्डर पर अहम बैठक हुई.
  2. बॉक्सर विजेंदर कुमार ने नए किसान कानून वापस न होने की स्थिति में अपना खेल रत्न पुरस्कार लौटा देंगे. विजेंदर सिंह को 2009 में भारत में खेल के सर्वोच्च सम्मान- राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया था. इनके अलावा पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने भी अपना पद्मभूषण लौटाने का ऐलान किया है.
  3. कांग्रेस, RJD, AAP, TRS, TMC, ने 8 दिसंबर को होने वाले किसानों के भारत बंद के समर्थन का ऐलान किया. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के मुताबिक, "कांग्रेस आंदोलन के सपोर्ट में अपनी पार्टी ऑफिस में प्रदर्शन करेगी. वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "8 दिसंबर को किसानों द्वारा किए गए भारत बंद के आह्वान का आम आदमी पार्टी पूरी तरह से समर्थन करती है."
  4. शनिवार 5 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच पांचवे दौर की बातचीत हुई थी. इममें सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने हिस्सा लिया था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसमें सरकार ने किसान प्रतिनिधियों के सामने कृषि कानूनों में चार बड़े संशोधन करने की पेशकश की थी. लेकिन किसानों ने इनमें से किसी भी संशोधन को मानने से इनकार कर दिया और कानूनों के पूर्ण निरस्तीकरण की अपनी मांग पर कायम रहे. वहीं किसान ने सरकार से सीधे हां या ना में जवाब भी मांगा.
  5. कृषि कानूनों पर 3 दिसंबर को केंद्र सरकार ने बिंदुवार तरीके से कानूनों पर चर्चा के लिए किसान नेताओं को बुलाया था. केंद्र और किसान नेताओं के बीच बातचीत हुई. लेकिन कोई हल नहीं निकला. केंद्र से बातचीत के दौरान दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी. लेकिन जब ब्रेक हुआ तो किसानों ने खुद अपना लाया खाना खाया और सरकार के खाने का बहिष्कार किया.
  6. किसानों के मुद्दे का हल निकालने के लिए 3 दिसंबर को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच भी मुलाकात हुई.
  7. एक दिसंबर को केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में पहली बार बातचीत हुई. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आग्रह किया कि आंदोलन स्थगित करें और वार्ता के लिए आएं.
  8. 26 दिसंबर को किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए हरियाणा-पंजाब बॉर्डर, हरियाणी दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस ने पानी की बौछार का इस्तेमाल किया, आंसू गैस के गोले छोड़े, डंडे मारे, सड़कों पर गड्ढे कर दिए.
  9. 27 नवंबर को सिंघू बॉर्डर पर भी पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प हुई. सरकार किसानों को दिल्ली आने से रोकना चाहती थी, लेकिन जब हालात बिगड़ते दिखे तब सरकार ने किसानों को कुछ शर्त के साथ दिल्ली आने की इजाजत दे दी. सरकार ने दिल्ली के बुराड़ी इलाके में निरंकारी समागम ग्राउंड पर प्रदर्शन की इजाजत दी. लेकिन कई किसान जाने को राजी नहीं हुए.
  10. बता दें कि सितंबर के महीने में केंद्र सरकार 3 नए कृषि विधेयक लाई थी, जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे कानून बन चुके हैं. कृषि कानून के संसद में लाने के बाद से ही देश में किसान आंदोलन शुरू हो गए थे, किसानों का कहना था कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान होगा, निजी खरीदारों और बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा. साथ ही किसानों को फसल पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य के खत्म हो जाने का भी डर है. हालांकि ये आदोलन पंजाब हरियाणा तक ही सीमित रह गया था. लेकिन जब सरकार ने किसानों की बात नहीं सुनी तो उन्होंने दिल्ली चलो का नारा दिया और 26-27 नवंबर को दिल्ली पहुंचने का ऐलान किया.

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