सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ एक नए तरह का प्रदर्शन कर लोहड़ी मनाई. 13 जनवरी को किसानों ने इन कानूनों की प्रतियां जलाई और इन्हें वापस लेना की मांग की.
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद कई किसानों ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि उन्होंने ऐसी लोहड़ी पहले कभी नहीं जलाई. उनका कहना है कि इस बार की लोहड़ी अलग है कि इस बार सवाल हमारी जमीनों का है, खेती-किसानी का है. किसान कानूनों की प्रतियां जलाते किसान काफी उत्साह में थे और इसे अपने विरोध के तौर पर दिखा रहे थे.
ये किसान पिछले करीब दो महीने से सिंघु बॉर्डर समेत दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. कई राउंड की सरकार से बातचीत के बाद भी इन कानूनों को अबतक वापस नहीं लिया गया है. ऐसे में किसान संगठनों ने ऐलान किया था कि वो अपने प्रदर्शन की धार तेज करेंगे और अलग-अलग अवसरों पर किसान कानूनों का विरोध करेंगे. इसी क्रम में किसानों ने लोहड़ी के त्योहार पर अपना विरोध जाहिर किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है कानूनों पर रोक लेकिन किसान चाहते हैं वापसी
12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तीनों किसान कानूनों पर रोक लगा देने का फैसला सुनाया और एक आपत्तियों को जानने के लिए एक कमेटी भी बनाई. किसानों ने फैसला का तो स्वागत किया है लेकिन उनका कहना है कि प्रदर्शन जारी रहेगा जबतक किसान कानूनों को पूरी तरह से वापस नहीं ले लिया जाता. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाई गई कमेटी पर भी किसान संगठनों ने सवाल उठाए हैं. कमेटी के चारों सदस्यों को किसान कानून के समर्थन वाला बताया है.
किसानों का कहना है कि वो 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड की तैयारी में भी जुटे हैं और वो किसान कानूनों की वापसी तक नहीं रुकने वाले हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)