मुंबई में सोमवार को किसानों के ऐतिहासिक मार्च के बाद दिल्ली में भी किसानों ने मार्च किया है. देशभर के किसानों में संसद मार्ग में प्रदर्शन किया.
किसानों की मांग है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को फौरन लागू किया जाए. किसानों की कर्ज माफी की जाए और उनकी पैदावार की न्यूनतम कीमत तय की जाए.
भारतीय किसान यूनियन की अगुआई में हजारों किसानों ने संसद मार्ग में प्रदर्शन किया. इस वक्त संसद सत्र भी चल रहा है और उन्होंने उम्मीद जताई कि संसद में उनकी दिक्कतों पर चर्चा होगी. किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनको जो वादे किए थे वो अब तक पूरे नहीं हुए हैं. किसानों के मुताबिक इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
किसानों ने कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किए जाने के अलावा बिजली के बिलों में माफी, राष्ट्रीय किसान आयोग बनाने और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने की मांग की है.
किसानों का कहना है कि गर्मियों में पानी की दिक्कत बहुत ज्यादा हो जाती है और ट्यूबवेल के इस्तेमाल से उनपर बिजली या डीजल का भारी बोझ पड़ता है.
इस प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के ज्यादा किसान हिस्सा ले रहे हैं. किसानों का कहना है कि भूमि सुधार के मोर्चे पर कोई खास काम नहीं हुआ है. इसके अलावा कर्ज की वजह से किसानों को आत्महत्या करने को मजबूर करना पड़ रहा है.
सोमवार को मुंबई में करीब 40 हजार किसानों में अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. इन किसानों ने नासिक से मुंबई का 180 किलोमीटर का मार्च किया था.
क्यों उतरे किसान सड़कों पर?
मुंबई में भी किसानों ने 4 बड़ी मांगे सामने रखीं थीं सरकार के सामने.
- किसानों को फसल का डेढ़ गुना भाव मिले
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू हों
- कपास के कीड़े और ओले से हुए नुकसान पर 40 हजार रुपए एकड़ मुआवजा
- किसानों का बिजली का बिल माफ किया जाए
किसानों के प्रतिनिधियों से बैठक के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने वादा किया है कि छै महीने के अंदर किसानों की दिक्कतों से निपटने का रोडमैप सामने रखा जाएगा.
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