दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने खुद मीडिया के सामने आकर बताया कि, किसानों ने पुलिस के साथ हुए समझौते का उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि, हमने पहले किसानों से कहा कि वो दिल्ली के बाहर अपना ट्रैक्टर मार्च निकालें, लेकिन किसान नहीं माने. कमिश्नर ने कहा कि पांच राउंड की जो मीटिंग हुई, उसमें हमने अंत में उन्हें तीन रूट दिए. लेकिन इसका पालन नहीं किया गया.
‘किसान नेताओं ने दिए भड़काऊ भाषण’
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने कहा कि, क्योंकि 26 जनवरी थी तो ये तय हुआ कि कुछ शर्तों के साथ लिखित में दिया जाए. पहली शर्त थी कि किसान ट्रैक्टर रैली 12 बजे से शुरू होगी और 5 बजे तक खत्म हो जाएगी. इसके बाद दूसरी शर्त थी कि किसान लीडर ट्रैक्टर मार्च को लीड करें. इसके बाद ये भी तय हुआ कि हर जत्थे के साथ लीडर साथ चलें, जिससे वो उसे कंट्रोल कर सकें. ये भी कहा गया था कि 5 हजार से ज्यादा ट्रैक्टर न हों, कोई भी हथियार, भाला या डंडा हाथ में नहीं होना चाहिए. लिखित रूप में किसान नेताओं ने सभी शर्तों को मंजूर किया और तय किया कि रैली 12 बजे से शुरू होगी. कमिश्नर ने आगे कहा-
“लेकिन देर 25 जनवरी की शाम को ये समझ आया कि वो अपने वादे से मुकर रहे हैं. जो अग्रेसिव और मिलिटेंट मेंबर थे उन्हें आगे किया गया. उन्होंने बहुत भड़काऊ भाषण भी दिए. जिससे समझ में आ गया कि उनकी क्या मंशा है. अगले दिन सुबह साढ़े 6 बजे से ही उन्होंने बैरिकेड तोड़ना शुरू कर दिया. किसान मुकरबा चौक तक पहुंचे, वहां से दाहिने न मुड़कर वो वहीं बैठ गए. उनके नेता सतनाम सिंह पन्नू ने भड़काऊ भाषण दिया. इसके बाद किसानों ने बैरिकेड तोड़ना शुरू कर दिया. एक और किसान नेता दर्शनपाल सिंह भी वहां मौजूद थे. उन्होंने दाहिने मुड़ने से मना कर दिया.”
‘सभी बॉर्डर पर किसानों ने शुरू की हिंसा’
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने बताया कि, “इसी तरीके से टिकरी बॉर्डर से भी साढ़े 8 के करीब वो लोग निकल पड़े, गाजीपुर से निकलने का भी यही वक्त था. पुलिस का जो डायरेक्शन था कि वो अपने तय हुए समय 12 बजे चलें, क्योंकि रिपब्लिक डे का प्रोग्राम करीब 12 बजे समाप्त होना था. उन्होंने उसे नहीं माना और आगे निकल गए.”
दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने बताया कि, जैसे ही मुकरबा चौक पर भाषण खत्म हुआ, वहां की भीड़ उग्र हो गई और बैरिकेड तोड़ने लगी. इसे लेकर दिल्ली पुलिस की तरफ से वीडियो भी जारी किए गए.
टिकैत के नेतृत्व वाले मार्च पर भी हिंसा के आरोप
उन्होंने कहा कि, टिकरी बॉर्डर पर जो किसान थे उन्होंने नांगलोई टी प्वाइंट पर प्रोटेस्ट किया. इसमें उनके नेता बूटा सिंह और हरियाणा के किसानों ने हिंसा में सहयोग दिया और बैरिकेड तोड़ी. इसके बाद वो पीरागढ़ी, पंजाबी बाग और लाल किले तक पहुंच गए. इसी तरह गाजीपुर में जो किसान थे, वहां राकेश टिकैत के साथ कई संगठनों के किसानों ने हिंसा की. यहां से भी किसान लाल किले तक पहुंचे.
पुलिस ने बरता पूरा संयम
पुलिस कमिश्नर ने पुलिस की भूमिका को लेकर कहा कि, इस पूरे मामले में पुलिस ने संयम बरता, पुलिस के पास सभी विकल्प थे. पुलिस ने संयम का रास्ता चुना. इसलिए चुना क्योंकि, जो जान माल का नुकसान होना था वो हम नहीं चाहते थे. ये हमारी और उनके बीच समझौता था. ये जो हिंसा हुई है, उसमें सभी किसान नेता भी शामिल रहे हैं. कमिश्नर ने कहा-
कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हैं. इसमें से कुछ आईसीयू में भी हैं. इसमें प्रॉपर्टी को भी नुकसान हुआ है. पुलिस की 428 बैरिकेड, 4 एक्सरे मशीन, विंडो ग्लासेस, 30 पुलिस की गाड़ियां, 6 कंटेनर और डंपर तबाह हुए हैं.
लाल किले पर फहराए गए धार्मिक झंडे
पुलिस ने इस दौरान बहुत ही संयम बरता. हम लोगों ने टियर गैस का इस्तेमाल किया. इस दौरान कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए, सभी रास्तों से किसान लाल किले तक पहुंचे. उन्होंने लाल किले पर झंडा फहराया, साथ ही कुछ धार्मिक झंडे भी फहराया गया. इसे कब्जे में लिया गया है.
उन्होंने कहा, “मैं बताना चाहता हूं कि हम दिल्ली में गैरकानूनी तरीके से किए गए आंदोलन और पुरातत्व विभाग की संपदा पर झंडा फहराने को गंभीरता से ले रहे हैं. हिंसा करने वालों की वीडियो फुटेज हमारे पास है और जांच हो रही है. फेस रिकगनेशन सिस्टम से जो भी हिंसा में शामिल हैं उनकी पहचान की जा रही है, उनकी गिरफ्तारी होगी.” दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा-
“अब तक दिल्ली पुलिस 25 से ज्यादा केस रजिस्टर कर चुकी है. सीसीटीवी के जरिए पहचान की जा रही है. किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा. जो भी किसान नेता हैं, अगर उनकी भागीदारी पाई जाती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जो भी कठोर कार्रवाई करनी पड़ेगी, वो की जाएगी.”
इंटेलिजेंस में फेल नहीं हुई दिल्ली पुलिस- कमिश्नर
दिल्ली पुलिस की व्यवस्था और इंटेलिजेंस फेल्योर के सवाल पर कमिश्नर ने कहा, अगर इंटेलिजेंस में कमी होती तो हमें पाकिस्तान से 300 से ज्यादा ट्विटर हैंडल नहीं मिलते. हमारे पास पूरा इंटेलिजेंस था. लेकिन जब किसी से कोई समझौता हुआ है तो हम उस पर कायम रहना चाहते थे. क्योंकि वही एक तरीका था, जो कि हम सभी के हित में था. दिल्ली पुलिस ने जो इंतजाम किया था, ये उसी का नतीजा था कि इतनी हिंसा के बावजूद भी एक भी व्यक्ति की मौत पुलिस के एक्शन से नहीं हुई. पुलिस ने संयम बरतकर इस हालात को संभाला.
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