गणतंत्र दिवस के दिन मंगलवार को दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान कई जगह हिंसा देखने को मिली. बहुत से प्रदर्शनकारी रैली के तय रूट से अलग हटकर दिल्ली में आगे बढ़ गए. इस बीच ITO सहित कई जगहों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए आंसू गैस छोड़ी और कई जगह लाठी-चार्ज भी किया, कई जगह प्रदर्शनकारी भी पुलिसकर्मियों पर हमला करते दिखे.
रैली के दौरान प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए. वहां अंदर घुसकर उन्होंने अपने झंडे भी फहराए. भारतीय मीडिया ने इन घटनाओं को पूरे दिन प्रमुखता से कवर किया. भारत में मेनस्ट्रीम मीडिया के अलावा कुछ पत्रकारों ने यूट्यूब चैनल के जरिए इस मामले को कवर किया. चलिए, ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं कि न्यूज चैनलों से लेकर यूट्यूबर्स तक ने किस लाइन के साथ इस घटना की कवरेज की.
NDTV India के कार्यक्रम खबर की खबर में 10 विफलताएं बताई गईं. पहली विफलता खुफिया एजेंसियां का बेखबर होना बताया गया. दूसरी पुलिस व्यवस्था की नाकामी. इसके अलावा समझाने बुझाने में कमी, दिशाहीन नेतृत्व की कमी जैसी कमियां भी गिनाई गईं. 10वीं कमी राजनीतिक नेतृत्व की बताई गई, जिसमें साफ तौर पर पीएम मोदी और अमित शाह पर सवाल उठाए गए. एंकर ने कहा, पीएम मोदी और अमित शाह को जिस तरह का दखल शुरुआत से दे देना चाहिए था वो नहीं दिया गया, आंदोलन को मंत्रियों के हवाले छोड़ दिया गया, सिर्फ एक मीटिंग अमित शाह ने की थी, वो भी तब जब पानी सिर के ऊपर चला गया.
NDTV India ने प्राइम टाइम में यह लाइन ली कि, पुलिस की खुफिया नाकामी या किसानों के आगे पुलिस कम पड़ गई. हालांकि एंकर ने सवाए किए कि क्या तीन-तीन राज्यों की पुलिस स्थिति को संभाल नहीं पाई? या किसान नेता अपने संगठनों को नहीं संभाल पाए? कार्यक्रम में सवाल उठाए गए कि इतनी आसानी से किसान लाल किला की प्राचीर तक कैसे पहुंच गए? 26 जनवरी और 15 अगस्त के दिन इस जगह की सख्त सुरक्षा होती है ऐसे में वे बिना किसी के रोके प्राचीर पर कैसे चढ़ गए? क्या इस जगह को असुरक्षित छोड़ दिया गया था? कार्यक्रम में कहा गया कि जब लाल किला में आंदोलनकारी अपना झंडा लगा रहे थे उस वक्त पुलिस वाले कुर्सी लगाकर बैठे थे.
News 24 ने सवाल उठाए कि किसान भड़के या आंदोलन में असामाजिक तत्व घुस आए? कार्यक्रम में कहा गया कि हिंसा को रोकना किसान नेताओं की जिम्मेदारी थी. किसानों के रास्ता भटकने के तर्क पर कार्यक्रम में सवाल उठाए गए. एंकर ने पूछा कि रास्ता भटक गए तो शांति से दिल्ली पुलिस से पूछ सकते थे. कार्यक्रम में पुलिस पर भी सवाल उठे कि लाल किला पर इतनी आसानी से झंडा कैसे लगाया गया? क्या सुरक्षा एजेंसियों को इसकी जानकारी नहीं थी?
Zee News ने अपने ताल ठोक के कार्यक्रम में चलाया, आंदोलनकारी या आतंकी? एंकर ने कार्यक्रम की शुरुआत ही इसी से की कि ताल ठोककर कहिए कि ये दंगाई हैं, उपद्रवी हैं, आतंकवादी हैं, ये खालिस्तानी हैं.
Zee News ने DNA कार्यक्रम में चलाया - गणतंत्र Vs गनतंत्र. कार्यक्रम में एंकर ने कहा कि मुट्ठीभर लोगों ने पूरी दुनिया के सामने तिरंगे को शर्मसार कर दिया. उन्होंने पूछा कि क्या ये पाकिस्तान से आए हैं? क्या ये चीन से आए हैं? या फिर किसी और ने पैसा देकर यहां भेजा है? दुर्भाग्य है कि ये नागरिक तो किसी देश के हो नहीं सकते हैं, लेकिन इनका जन्म भारत में हुआ है. एंकर ने कहा, एक उपद्रवी ने लाल किला पर झंडा फहराकर देश के लोकतंत्र को खुली चुनौती दी. भारत के 132 करोड़ लोगों के गौरव को ललकारा, ये सब बिल्कुल वैसे ही हुआ जैसे अमेरिका में कैपिटल हिल में हुआ था.
Aaj Tak ने चलाया, हे राम...लाल किले पर ये कैसा कोहराम? कार्यक्रम में एंकर ने कहा, आज आपको जवाब मिलेगा कि किसके इशारे पर पूरा का पूरा आंदोलन बेकाबू हुआ. कार्यक्रम में बताया गया कि किसानों ने शांति मार्च के वादे को तोड़ दिया. Aaj tak ने अपने कार्यक्रम दंगल में दिखाया, दिल्ली में दिखी, कैपिटल हिल जैसी तस्वीर. शो में बताया गया कि ट्रैक्टर मार्च के नाम पर आंदोलन और अराजकता का फर्क मिटा दिया गया.
ABP न्यूज ने लाइन ली, लाल किले का अपमान, ये कैसे किसान? कार्यक्रम में स्लग (स्क्रीन पर नीचे लिखा हुआ) चला, आज जो हुआ...उस पर धिक्कार है, धिक्कार है. लोकतंत्र को लाठीतंत्र ने हाईजैक किया. राजधानी दिल्ली बन गई बंधक. ABP ने यह भी कहा कि लाल किला के पास उपद्रवियों ने उनकी टीम पर भी हमला किया और कैमरा-माइक छीन लिए.
ABP के कार्यक्रम मास्टर स्ट्रोक में हेडलाइन चली, किसने लगाया गणतंत्र पर गुंडागर्दी का ग्रहण? शो में सवाल उठाए गए कि दिल्ली हिंसा में खालिस्तानी साजिश तो नहीं थी? कार्यक्रम में दिखाया गया कि आज आंदोलनकारियों की असलियत सामने आ गई. स्लग चला कि दिल्ली में आज वो हुआ जो कभी नहीं हुआ. ITO से लेकर लाल किला तक सिर्फ गुंडागर्दी.
Republic Bharat ने अर्नब के कार्यक्रम, पूछता है भारत में लाइन ली, 'तिरंगे का अपमान देश से धोखा'. एंकर ने कार्यक्रम की शुरुआत में कहा, देश का अपमान हुआ हुआ. हमारे राष्ट्रध्वज का अपमान हुआ है. देशभक्ति का अपमान हुआ है, प्रदर्शन की आड़ में दंगे की साजिश की गई. एंकर ने कहा कि बहुत जो चुका ड्रामा, किसानों के नाम पर हर तरह का ड्रामा हो रहा है, हिंसा हो रही है, जिसके बारे में मैंने चेतावनी दी थी, लोगों पर ट्रैक्टर चढ़ाए गए, तलवार दिखाकर सुरक्षाकर्मियों को धमकी दी, शहीदों का अपमान किया.
NewsClickin ने अपने यूट्यूब चैनल पर चलाया, 'किसानों का फूटा गुस्सा, जिम्मेदार मोदी सरकार'. कार्यक्रम में साफ तौर पर कहा गया कि दिल्ली में जो कुछ हुआ उसके लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि पिछले 2 महीने से किसान संघर्ष कर रहे थे, लेकिन किसी ने नहीं सुना, उनका सब्र का बांध टूट रहा है.
इसके साथ ही कहा गया कि किसान सरकार को साफ संकेत दे रहे हैं कि किसानों के गुस्से को, किसान के दुख को सही तरीके से समझें. कार्यक्रम में ग्राउंड रिपोर्ट भी दिखाई गई, जिसमें पत्रकार भाषा सिंह ने दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर में 25 जनवरी की रात से 26 जनवरी तक किसानों-महिला किसानों की तैयारी और मुद्दों का जायजा लिया. शो में बताया गया कि किसानों का मोदी सरकार पर गुस्सा फूट रहा है और अपनी उपेक्षा का सबक सिखाने के मूड में नजर आए.
पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, जो हुआ गलत हुआ मगर जब संसद सरकार खामोश, तो सड़क से आवाज आएगी ही. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने पहली बार एहसास कराया कि क्या लाल किला पर दो झंडे फहराए जा सकते हैं, एक राष्ट्रीय अस्मिता को लिए हुए और दूसरा आंदोलन की तीव्रता को लिए हुए. उन्होंने सवाल किया कि क्या इस सिस्टम ने ऐसी परिस्थितियां खड़ी कर दी हैं कि ऐसी हालत होनी ही थी? उन्होंने सवाल किया कि क्या इस देश के भीतर संविधान को ही ताक पर रखा जा चुका है?
पत्रकार अजीत अंजुम ने अपने यूट्यूब चैनल पर दो से तीन वीडियो अपलोड किए. दो वीडियो में उन्होंने दिल्ली में जो कुछ हुआ उसे कवर किया. उन्होंने लाइन ली, 'आंदोलन में आज ये सब ठीक नहीं हुआ', जिसमें उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारी किसान किस तरह से तय रूट से अलग हटकर दिल्ली में जबरदस्ती दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं और कैसे पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े. शाम होते-होते उन्होंने किसान नेता राकेश टिकैत से बात की. पहला सवाल किया कि आज जो कुछ भी हुआ वह कैसे हुआ? टिकैत ने कहा, रात को 12 बजे भी पुलिस ने रूट निर्धारित नहीं किया, जो रूट दिया वहां पर सुबह बैरिकेडिंग की गई थी, इसके अलावा जो लोग लाल किले पर थे उनका आंदोलन से ज्यादा मतलब नहीं था.
अजीत अंजुम ने कहा कि सुबह जब ट्रैक्टर मार्च निकल रहा था तो आप (राकेश टिकैत) भी माइक से लोगों को समझा रहे थे, लेकिन आप की भी बात को कुछ लोग अनसुना कर रहे थे. टिकैत ने कहा, पुलिस ने जानबूझकर ऐसा किया, जानबूझकर किसानों को दिल्ली तक जाने का रास्ता दिया, यह एक बड़ी साजिश थी.
अजीत अंजुम ने राकेश टिकैत से ऐसे तमाम सवाल किए. करीब 19 मिनट तक, जिसमें उन्होंने दिल्ली में लाल किला पर हुए उपद्रव के पीछे की वजहों को जानने की कोशिश की. उनकी लाइन थी आंदोलन में अराजकता का जिम्मेदार कौन? टिकैत का किसकी तरफ इशारा?
पंजाबी न्यूज चैनलों ने क्या-क्या कहा?
हिंसा की तस्वीरें दिखाते हुए न्यूज18 पंजाब के एक कार्यक्रम में कहा गया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दावा करने वाले किसानों के मार्च के बीच खूब हंगामा हुआ, जिस मार्च के जरिए देश का मान बढ़ाने के दावे हो रहे थे, वो दावे इन तस्वीरों ने हवा-हवाई कर दिए हैं, देश के साथ-साथ किसानों के संघर्ष को भी ये तस्वीरें कहीं न कहीं बदनाम कर गईं.
पीटीसी न्यूज ने अपने एक कार्यक्रम में बताया कि जैसे ही किसानों का ट्रैक्टर मार्च तय रूट से आगे बढ़ना शरू हुआ वैसे ही पुलिस के साथ तकरार होनी शुरू हो गई, ट्रैक्टर मार्च के दौरान कई जगह हंगामा देखने को मिला, लाल किले पर हालात सबसे ज्यादा बेकाबू हो गए, शाम-शाम होते-होते किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों से अपील कर कहा कि आप वापस अपने ठिकाने पर लौट आओ.
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