मोदी सरकार ने अपने 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत डिफेंस सेक्टर में विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया था. इसके लिए सरकार ने नई नीति भी बनाई लेकिन सरकार की मेक इन इंडिया मुहिम विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में नाकाम रही. यही वजह है कि बीते चार साल में डिफेंस प्रोडक्शन सेक्टर में कुल 1.17 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश हुआ है.
विदेशी निवेश का ये हाल तब है जब एनडीए सरकार ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को बीते साल मई महीने में खत्म कर एफडीआई नीति को और भी आसान कर दिया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने लिखित बयान में कहा, ‘अप्रैल 2014 से दिसंबर 2017 तक डिफेंस इंडस्ट्री सेक्टर के लिए एफडीआई के जरिए कुल 1.17 करोड़ रुपए का ही निवेश हुआ.
रक्षा क्षेत्र में 49 फीसदी से ज्यादा FDI के लिए NDA सरकार ने बनाई थी नीति
साल 2016 में मोदी सरकार ने एफडीआई पॉलिसी जारी की थी. इस नई व्यवस्था में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ऑटोमेटिक रूट से और उसके ऊपर की हिस्सेदारी सरकार की मंजूरी लेकर की जा सकती है.
रक्षा क्षेत्र के लिए उन मामलों में ऑटोमेटिक रूट से 49 फीसदी से ऊपर भी एफडीआई की अनुमति दी गई है जिनसे देश को मॉर्डन टेक्नोलॉजी मिल सकती है. रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई की सीमा को शस्त्र अधिनियम, 1959 के तहत छोटे हथियारों और अन्य युद्ध सामग्रियों गोला बारूद आदि बनाने वाले उद्योगों पर भी लागू किया गया है.
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