साल 1999 बिहार के लिए बेहद डरावना था, जब शंकरबिगहा नरसंहार और सेनारी नरसंहार जैसी वारदात ने लोगों में दहशत पैदा कर दी थी. जहानाबाद के सेनारी नरसंहार केस में गुरुवार को अदालत ने 15 लोगों को दोषी करार दिया.
जिला कोर्ट ने इस मामले में 23 लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया.
यह घटना 18 मार्च, 1999 की है, जिसमें 34 लोगों को उनके घरों से जबरन निकालकर गला रेतकर हत्या कर दी गई थी.
जहानाबाद के अपर जिला व सत्र न्यायाधीश (तृतीय) रंजीत कुमार सिंह की अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद सेनारी नरसंहार मामले में 15 लोगों को दोषी करार दिया.
इस मामले में ज्यादातर लोग प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) से जुड़े थे. उग्रवादियों ने सेनारी गांव को चारों ओर से घेर लिया था. इसके बाद एक जाति विशेष के 34 लोगों को उनके घरों से जबरन निकालकर उनकी गला रेतकर हत्या कर दी गई थी.
इस घटना में चिंता देवी बच गयी थी, जिनके बयान के बाद पुलिस ने 50 से अधिक लोगों को अभियुक्त बनाया था. इस घटना में चिंता देवी के पति और बेटा, दोनों की हत्या कर दी गई थी. चिंता देवी की 5 साल पहले ही मौत हो चुकी है.
15 नवंबर को इस मामले में कोर्ट दोषियों को सजा सुनाएगा.
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