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यूपी में फिल्म सिटी की क्रोनोलॉजी : संदेश-सियासत-संस्कृति  

22 सितंबर को एक बैठक भी हुई जिसमें मुंबई फिल्म जगत से जुड़ी कुछ हस्तियां भी नजर आईं

Published
भारत
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आप क्रोनोलॉजी समझिए. सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद फिल्म नगरी मुंबई विवादों में है. बॉलीवुड में ड्रग रैकेट की जांच की एंट्री हुई, कई बड़े-छोटे सितारों का नाम आ रहा है. फिर, कंगना, अनुराग कश्यप के विवाद सामने आए. फिर, यूपी में बड़े भव्य फिल्म सिटी के निर्माण की चर्चा शुरू हो गई है.

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खुद सीएम योगी आदित्यनाथ इस मुद्दे पर काफी एक्टिव दिख रहे हैं. 22 सितंबर को एक बैठक भी हुई जिसमें मुंबई फिल्म जगत से जुड़ी कुछ हस्तियां भी नजर आईं. इनमें अनुपम खेर, परेश रावल, कैलाश खेर, अशोक पंडित, उदित नारायण, मनोज मुंतशिर, सतीश कौशिक, अनूप जलोटा, राजू श्रीवास्तव,सौंदर्या जैसे नाम शामिल रहे. यूपी में फिल्म सिटी के निर्माण पर चर्चा के लिए मधुर भंडारकर, अनुपम खेर, परेश रावल, विवेक अग्निहोत्री जैसे ऐसे चेहरे भी खूब बढ़चढ़कर अपनी बात रख रहे हैं, जिन्हें बीजेपी की तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है.

22 सितंबर को एक बैठक भी हुई जिसमें मुंबई फिल्म जगत से जुड़ी कुछ हस्तियां भी नजर आईं

'भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने वाली होगी ये फिल्म सिटी'

योगी आदित्यनाथ ने इस बैठक के बाद कहा कि यह राम की अयोध्या, कृष्ण की मथुरा, शिव की काशी के साथ ही बुद्ध, कबीर और महावीर की भी धरती है. गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है. यह सभी पूर्णता के प्रतीक हैं. सर्वसुविधा से युक्त पूर्ण फिल्म सिटी का विकास कर उत्तर प्रदेश दुनिया को एक उपहार देगा. फिल्म सिटी अभी बनने जा ही रहा है कि सीएम की तरफ से साफ कर दिया गया है कि ये मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, लेकिन भारतीय संस्कृति, यूपी संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का काम यहां से होगा.

योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारतीय संस्कृति, सभ्यता और समृद्ध परंपरा का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र है. यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र में जहां यह फिल्म सिटी विकसित करने का विचार है, उसका भारत के ऐतिहासिक, पौराणिक इतिहास से संबंध है. यह हस्तिनापुर का क्षेत्र है.

फिल्म सिटी की सियासत

बैठक के बाद और फिल्म सिटी को लेकर जिस तरह से बयान जारी किए गए हैं, उससे साफ संदेश दिया गया है कि ये मुंबई वाली फिल्म नगरी से अलग सिटी होगी. गाहे-बगाहे सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोग बॉलीवुड पर अश्लीलता फैलाने, ड्रग रैकेट से जुड़ने जैसे आरोप लगाते रहे हैं. वेस्टर्न कल्चर को भी बढ़ावा देने और अपने कल्चर को नजरंदाज करने के भी आरोप बॉलीवुड झेल चुका है तो ये यूपी वाली फिल्म सिटी उसी के जवाब के तौर पर भी देखी जा सकती है.

अखिलेश यादव की टीस!

22 सितंबर को एक बैठक भी हुई जिसमें मुंबई फिल्म जगत से जुड़ी कुछ हस्तियां भी नजर आईं
एसपी अध्यक्ष का कहना है कि बीजेपी सरकार उनके किए गए कामकाज और ऐलानों का क्रेडिट ले रही है.
फोटो: क्विंट हिंदी/सुदीप्त

यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का 'दर्द' एक बार फिर बाहर आया है क्योंकि नए ऐलान में अखिलेश की फेवरेट एक्सप्रेस वे और फिल्म सिटी के ऐलान दोनों की बात है. एसपी अध्यक्ष का कहना है कि बीजेपी सरकार उनके किए गए कामकाज और ऐलानों का क्रेडिट ले रही है. अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा है कि, अब एसपी काल की 'फि ल्म सिटी' का श्रेय लेने के लिए प्रदेश की बीजेपी सरकार कैंची लेकर फीता काटने को तैयार खड़ी है पर अब न तो उनके अभिनेता का अभिनय काम आ रहा है, न ही कोई डायलॉग. उनकी फ्लॉप पिक्चर उतरने वाली है क्योंकि प्रदेश की असली तस्वीर बनाने वालों की एडवांस बुकिंग हो गयी है.

यूपी में फिल्म सिटी के ऐलानों का इतिहास क्या है?

फिल्म प्रोडक्शन के लिए एक डेडिकेटेड टाउनशिप की बात 1988 के दौरान पहली बार चर्चा में आई थी. UP के तब के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 90 के दशक के शुरुआती सालों में ही नोएडा के सेक्टर 16 में फिल्मसिटी बनावायी.

प्रसार भारती के ऑफिस से नजदीकी के कारण ये फिल्मसिटी न्यूज चैनलों के लिए पहली पसंद बन गयी. आज लगभग सभी बड़े न्यूज चैनलों के और कुछ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के ऑफिस नोएडा के सेक्टर 16 फिल्मसिटी में हैं.

लेकिन फिर भी बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग के लिए नोएडा फिल्म सिटी में पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं. शायद इसलिए बॉलीवुड कभी भी उस फिल्मसिटी को अपना नहीं पाया. और नोएडा सेक्टर 16 की फिल्मसिटी न्यूज चैनलों का हब बन कर रह गयी.

अखिलेश यादव के कार्यकाल में एक कॉर्पोरेट हाउस ने आगरा एक्सप्रेस वे में एक फिल्म सिटी बनाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन वो फिल्मसिटी भी कभी बन नहीं सकी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अखिलेश यादव ने वरिष्ठ अभिनेता संजय खान को भी आगरा में ही थीम पार्क और फिल्म सिटी शुरू करने के लिए बोला था, ताकि बॉलीवुड के बाकी बड़े बैनर भी UP में आकर काम करें. लेकिन ये प्लान भी कभी पूरा नहीं हुआ.

लेकिन इस बार सरकार UP में देश की सबसे बड़ी फिल्मसिटी बनाने को तैयार है. साथ ही लखनऊ और वाराणसी में सैटेलाइट सेंटर बनाकर भोजपुरी और बाकी क्षेत्रीय सिनेमा को भी बढ़ावा देना चाहती है.

यमुना एक्सप्रेस वे पर फिल्म सिटी बनने के वजह

बता दें कि यमुना एक्सप्रेस-वे सेक्टर-21 में लगभग 1,000 एकड़ भूमि पर इसका विकास होगा. इसमें 220 एकड़ कमर्शियल एक्टिविटी के लिए आरक्षित होगा. यह मथुरा-वृंदावन से 60 और आगरा से 100 किमी की दूरी पर है. जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ 35 एकड़ में फिल्म सिटी पार्क भी विकसित किया जाएगा. यह क्षेत्र रेल और सड़क परिवहन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. एशिया का सबसे बड़ा जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी इसके पास ही है, जो बनकर तैयार होने ही वाला है. इस जगह को मेट्रो, रैपिड रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम और हाई स्पीड ट्रेन से भी जोड़ने की योजना है.

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