गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली, जिसमें किसानों के आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया. अब इस मामले को लेकर दिल्ली से लेकर यूपी पुलिस तक एक्शन में आ चुकी है. आरोपी प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और किसान नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज हो चुके हैं. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब नोएडा पुलिस ने कुछ नेताओं और पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. जिसमें राजदीप सरदेसाई और शशि थरूर जैसे नाम शामिल हैं.
देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज
नोएडा पुलिस ने जिन लोगों खिलाफ मामला दर्ज किया है. उनमें कांग्रेस नेता शशि थरूर, पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पांडे और जफर आगा शामिल हैं. इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए हिंसा फैलाने का काम किया. कुल 8 लोगों के खिलाफ ये एफआईआर हुई है. बताया गया है कि देशद्रोह जैसी गंभीर धाराओं के तहत सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई को उनके चैनल इंडिया टुडे ने दो हफ्ते के लिए ऑफ एयर कर दिया है. यानी दो हफ्ते तक वो चैनल पर कोई भी शो नहीं कर पाएंगे. साथ ही उनकी एक महीने की सैलरी भी काटने का फैसला लिया गया है. 26 जनवरी को हुए किसान प्रदर्शन को लेकर किए गए ट्वीट पर ये एक्शन लिया गया है.
गाजीपुर बॉर्डर खाली कराने की तैयारी
एक तरफ हिंसा को लेकर पुलिस कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी ओर आंदोलन खत्म कराने की भी तैयारी जारी है. गाजियाबाद प्रशासन ने एक आदेश जारी करते हुए किसानों से कहा है कि वो जल्द से जल्द गाजीपुर बॉर्डर को खाली कर दें. इस आदेश से पहले ही गाजीपुर बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया. यहां रैपिड एक्शन फोर्स की कंपनियां भेजी गई हैं, जिन्होंने पूरे इलाके को घेरा है.
आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार नहीं किसान
हालांकि किसानों का कहना है कि वो नहीं हटने वाले हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार जबरन आंदोलन को खत्म करवाना चाहती है. उन्होंने कहा कि वो आत्महत्या कर लेंगे, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. बता दें कि टिकैत समेत तमाम किसान नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है और लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है.
अब पुलिस और प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर कहा कि, "अब ये वक्त साइड तय करने का है. मेरा फैसला साफ है. मैं लोकतंत्र के साथ हूं, मैं किसानों और उनके शांतिपूर्ण आंदोलन के साथ हूं." इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल ने भी कहा कि किसानों के आंदोलन को दबाने की इस कोशिश की हम निंदा करते हैं.
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