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क्या था चारा घोटाला, जिसने बिहार की राजनीति में ला दिया था भूचाल

गरीबों के लिए जो केंद्र से करोड़ों रुपए आए, उससे गाय, भैंस, मुर्गियों की खरीदारी सिर्फ कागजों पर की गई.

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भारत
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90 के दशक में चारा घोटाले का खुलासा होते ही बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया था. 1996 में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो इसकी लपटों ने तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव को भी झुलसा दिया. चारा घोटाले का दाग उनकी जिंदगी पर ऐसा लगा कि उन्हें सलाखों के पीछे तक जाना पड़ा.

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केंद्र सरकार गरीब और आदिवासियों के लिए भैंस, मुर्गी और बकरी पालन के लिए पैसे भेजा करती थी. इन पशुओं के चारे के लिए भी बिहार सरकार को करोड़ों रुपए भेजे जाते थे. गरीबों के लिए जो केंद्र से करोड़ों रुपए आए, उससे गाय, भैंस, मुर्गियों की खरीदारी सिर्फ कागजों पर की गई.

फर्जी तरीके से निकाले गए थे करोड़ों रुपये

लालू यादव 1990-97 तक 7 साल बिहार के मुख्यमंत्री रहे, उन्हीं के कार्यकाल के दौरान चारा घोटाले का खुलासा हुआ. 1996 का साल था जब बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था. झारखंड के चाईबासा में इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था.

ये पूरा मामला बिहार सरकार के खजाने से गलत ढंग से पैसे निकालने का था. कई वर्षों में करोड़ों की रकम पशुपालन विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक मिली-भगत के साथ निकाली. जिसमें जानवरों को खिलाये जाने वाले चारे और पशुपालन से जुड़ी चीजों की खरीदारी के नाम पर करीब 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए.

गरीबों के लिए जो केंद्र से करोड़ों रुपए आए, उससे गाय, भैंस, मुर्गियों की खरीदारी सिर्फ कागजों पर की गई.

लालू को जाना पड़ा था जेल

सीबीआई की जांच के दौरान लालू प्रसाद यादव के इस घोटाले के संबंधों का खुलासा हुआ. इसके बाद 10 मई 1997 को सीबीआई ने बिहार के राज्यपाल से लालू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. सीबीआई ने लालू यादव और 55 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा भी थे.

जगन्नाथ मिश्रा को तो अग्रिम जमानत मिल गई, लेकिन लालू की याचिका खारिज हो गई. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया. और बिहार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. लालू यादव की तो कुर्सी गई, लेकिन उन्होंने अपनी जगह राबड़ी देवी को सीएम बना दिया.

गरीबों के लिए जो केंद्र से करोड़ों रुपए आए, उससे गाय, भैंस, मुर्गियों की खरीदारी सिर्फ कागजों पर की गई.

2013 में भी जेल गए थे लालू

लालू 12 दिसंबर 1997 को जेल से छूटे, इसके बाद 1998 को उन्हें चारा घोटाले के ही एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. बेल मिलने के बाद फिर साल 2000 में आय से अधिक संपत्ति के मामले में उनको अरेस्ट कर लिया गया.

चारा घोटाले में लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं और इनमें से एक में उन्हें 5 साल की सजा हो चुकी है. 3 अक्टूबर 2013 को इस घोटाले से जुड़े एक और मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई थी और उन्हें रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद किया गया था. हालांकि उन्‍हें कोर्ट से जमानत भी मिल गई थी.

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