सेना ने एलओसी पार कर पहले भी “लक्षित, सीमित क्षमता वाले आतंकवाद विरोधी कार्रवाई” की है, लेकिन यह पहली बार हुआ है जब सरकार ने इसे सार्वजनिक किया है.
भारत के विदेश सचिव एस जयशंकर ने रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के ‘पहली सर्जिकल स्ट्राइक’ वाले दावे के उलट बयान दिया है. अहम बात ये है कि विदेश सचिव ने पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी और सेनाध्यक्षों के साथ ढाई घंटे की मीटिंग में ये बात कही है.
सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आ रही है कि इस मीटिंग में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे. और, उन्होंने इस बारे में कोई सवाल नहीं पूछा.
अब हम आपको बताते हैं कि विदेश सचिव एस जयशंकर के इस बयान और रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के बयान में विरोधाभास क्यों है?
रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा था, मैं बीते दो सालों से रक्षा मंत्री हूं और जहां तक मेरी जानकारी है, इससे पहले कभी सर्जिकल स्ट्राइक नहीं की गई जिसका कांग्रेस पार्टी जिक्र कर रही है. वो सभी सीमा-पार की गई कार्रवाई है जो दुनियाभर में आम बात है.
पहले सेना अपने स्तर पर करती थी कार्रवाई - जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा कि यह पहली बार है कि उरी जैसे आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक जवाबी कार्रवाई के तौर पर की गई. पहले ऐसे आॅपरेशन में सरकार को शामिल किए बिना सेना के कमांडर स्थानीय स्तर पर इसे अंजाम देती थी.
उन्होंने यह भी बताया कि इस आॅपरेशन के खत्म होने के तुरंत बाद पाकिस्तानी आर्मी के डीजीएमओ को इसकी सूचना दे दी गई थी.
लगभग ढाई घंटे तक चली इस मीटिंग में आर्मी स्टाफ के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने भी एलओसी के पार आतंकवादी लांच पैड को निशाना बनाने और हमले की जानकारी दी.
दरअसल, पिछले सप्ताह सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कांग्रेस ने दावा किया था कि यूपीए के दौर में भी सर्जिकल स्ट्राइक हुई थीं लेकिन मनोहर पर्रिकर ने इस दावे का खंडन किया था. ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर एस जयशंकर का ये बयान काफी अहम माना जा रहा कि पहले भी ऐसी स्ट्राइक की जाती थीं लेकिन सरकार इसके बारे में ऐलान नहीं करती थी और ये आर्मी स्तर पर हुआ करती थीं.
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