भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने Rediff.com के साथ इंटरव्यू में कहा है कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव की स्थिति '1962 के बाद से सबसे गंभीर' है. जयशंकर ने कहा, "45 साल बाद LAC पर सैन्य हानि हुई है. सीमा के दोनों तरफ जो संख्याबल तैनात किया गया है, वो भी अभूतपूर्व है."
पिछले तीन महीनों से भारत और चीन डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया के बीच कई तरह की सैन्य और राजनयिक बातचीत कर चुके हैं. लेकिन सभी कोशिशों का अभी तक कुछ नतीजा नहीं निकला है.
15 जून को भारत और चीन के बीच का तनाव हिंसा के स्तर तक बढ़ गया था. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के 15 जवान शहीद हो गए थे. उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस झड़प में चीन के भी कई जवानों की मौत हुई थी लेकिन चीन ने कोई आधिकारिक संख्या जारी नहीं की.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "अगर आप पिछले दशक को देखें तो पाएंगे कि कई बार सीमा पर तनाव की स्थिति बनी, लेकिन ये सभी कूटनीति से हल कर ली गईं." हालांकि, उन्होंने कहा कि ये स्थिति अलग है.
चीन के साथ तनाव का हल क्या है, इस सवाल पर विदेश मंत्री ने कहा कि हल सभी समझौतों और समझदारी का सम्मान करते हुए किया जाना चाहिए, और यथास्थिति को एकतरफा तौर पर बदलने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.
अपनी किताब पर क्या बोले जयशंकर?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी किताब 'The India Way: Strategies for an Uncertain World’ के बारे में भी बात की. जयशंकर ने कहा, "इस किताब में बताया गया है कि भारत और चीन के साथ काम करने की क्षमता एशियाई सदी को कैसे निर्धारित कर सकती है. लेकिन उनके मतभेद इसे कमजोर कर सकते हैं."
जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन रिश्ते को रणनीति और नजरिये दोनों की जरूरत है और साथ ही ईमानदारी से बातचीत भी जरूरी है.
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