भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने अफगानिस्तान को लेकर पाकिस्तान (Pakistan) और चीन पर निशाना साधा.
उन्होंने, पिछले दिनों हुए एनएसए स्तर की मीटिंग के संबंधित पाकिस्तान के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों का इस महत्वपूर्ण मीटिंग में ना आना अफगानिस्तान के प्रति उनके रवैये को दर्शाता है.
पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए अरिंदम बागची ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि अबाध पहुंच की कमी के कारण अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने में कठिनाइयां आ रही हैं.
उन्होंने कहा कि भारत कई वर्षों से अफगानिस्तान को समर्थन दे रहा है लेकिन पिछले कुछ महीनों में जमीनी स्थिति बहुत ही खराब हो गई है.
पिछली बैठकों में हमने जो प्रमुख तत्व देखे हैं उनमें से एक मानवीय सहायता के लिए पहुंच की आवश्यकता थी. भारत, रूस और ईरान सहित आठ क्षेत्रीय देशों के एनएसए की बैठक के दौरान अफगानिस्तान में उत्पन्न हुई गंभीर मानवीय चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई.अरिंदम बागची, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
भारत का चीन पर निशाना
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पेंटागन की रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए, भारत की ओर से गुरुवार 11 नवंबर को कहा गया कि बीजिंग ने पिछले कई वर्षों में सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां की हैं, और भारतीय क्षेत्रों पर ऐसे अवैध कब्जे और गलत चीनी दावों को भारत ने स्वीकार नहीं किया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची साप्ताहिक ब्रीफिंग में पेंटागन रिपोर्ट पर सवालों के जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि हमने अमेरिकी कांग्रेस की अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट पर ध्यान दिया है, जो अन्य बातों के साथ-साथ विशेष रूप से पूर्वी क्षेत्र में भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के साथ चीनी पक्ष द्वारा निर्माण गतिविधियों के लिए एक संदर्भ भी देता है.
भारत सरकार अरुणाचल प्रदेश सहित अपने नागरिकों की आजीविका में सुधार के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार भारत की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखती है और इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करती है.अरिंदम बागची, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
बता दें कि पिछले दिनों दिल्ली में भारत की अध्यक्षता में एक एनएसए स्तर की मीटिंग हुई थी, जिसमें शामिल होने के लिए भारत ने अन्य कई देशों के साथ चीन और पाकिस्तान को भी बुलाया था. लेकिन अगल-अलग कारणों का हवाला देते हुए पाकिस्तान और चीन ने दिल्ली में हुई इस बैठक में शामिल होने से मना कर दिया था.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने यह कहते हुए निमंत्रण अस्वीकार कर दिया था, कि भारत इस क्षेत्र में स्थिति को खराब करने वाला है. दूसरी ओर चीन ने इस बैठक में न शामिल होने के लिए शेड्यूलिंग प्रॉब्लम्स का हवाला दिया था.
NSA लेवल की मीटिंग में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने अफगानिस्तान में उत्पन्न हुई चुनौतियों और आतंकवाद का मुकाबला करने के की बात कही है.
पिछले दिनों लंबे समय से पाकिस्तान पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वो पिछली अफगानिस्तान सरकार के खिलाफ तालिबान को समर्थन देता है. तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया कर लिया था और राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे.
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