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‘देव दीपावली’ बनी ग्लोबल सेल्फी प्वाइंट, एक क्लिक पर लाखों का खर्च

सैलानियों के बीच देव दीपावली का क्रेज बढ़ता जा रहा है. विदेशियों पर्यटक इसे लाइट फेस्टिवल के नाम से जानते हैं

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भारत
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भोलेनाथ की नगरी काशी यूं तो बारहों महीने तीर्थयात्रियों और सैलानियों से गुलजार रहती है, लेकिन देशी-विदेशी पर्यटकों को कार्तिक पूर्णिमा का विशेष रूप से इंतजार रहता है. ये खास दिन 'देव दीपावली' के नाम से दुनिया में जाना जाता है. दीयों की रोशनी से नहाए हुए काशी के घाट आसमान में टिमटिमाते तारों की तरह नजर आते हैं.

दीयों के साथ गंगा घाट का नजारा अद्भुत होता है, जिसे सेल्फी के साथ क्लिक करने के लिए दुनिया के कोने-कोने से सैलानी बनारस में डटे हुए हैं.

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देसी पर्यटकों की 'देव दीपावली' विदेशियों का लाइट फेस्टिवल

सैलानियों के बीच देव दीपावली का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है. देशी पर्यटक जहां इसे देव दीपावली के नाम से जानते हैं, वहीं ये विदेशियों के बीच लाइट फेस्टिवल के नाम से कब मशहूर हो गई, किसी को पता नहीं. देव दीपावली पर बनारस में सभी घाटों पर और कुंडों पर दीये जलाने की पुरानी परंपरा है, जिसे लोगों ने ऑर्गनाइज कर बड़ा रूप दे दिया.

सभी घाटों पर एक ही टाइम पर दीये जलने शुरू हो गये, जिसे बनारस की गंगा आरती ने भव्यता दे दी. देखते-देखते ही देव दीपावली देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पहुंच गई. चूंकि पहले देव दीपावली के समय बनारस में विदेशी पर्यटकों की आमद होती थी, इस वजह से दीयों का ये त्योहार विदेशियों में लाइट फेस्टिवल के नाम से प्रसिद्ध हो गया.

हालत यह है कि कभी बनारस जो विदेशी सैलानियों के लिए एग्जिट प्वांइट होता था, वो अब भारत में घूमने के लिए इंट्री प्वांइट हो चुका है.

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सैलानियों के बीच देव दीपावली का क्रेज  बढ़ता जा रहा है.  विदेशियों पर्यटक इसे लाइट फेस्टिवल के नाम से जानते हैं
देव दीपावली का नजारा
(फाइल फोटो: विक्रांत दुबे/The Quint)

घाटों पर दीयों की श्रृंखला किसी जादू से कम नहीं

सैलानियों के लिए देव दीपावली का नजारा किसी जादू से कम नहीं है. लगभग आठ किलोमीटर लंबे 84 घाटों पर लाखों दीयों का एक साथ टिमटिमाना सैलानियों को रोमांच से भर देता है. उस पर आसमान में पूरनमासी के चांद की चांदनी, जब गंगा की लहरों के साथ अठखेलियां करती है, तो इसका दीदार करना किसी स्वर्गिक आनंद से कम नहीं होता.

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घाट बने हैं मूविंग सेल्फी प्वांइट

बनारस की देव दीपावली यूं ही ग्लोबलाइज नहीं हुई है. बलुई चुनार के लाल पत्थरों से बने सदियों पुराने घाटों पर दीयों की रोशनी और आकाशदीप की चमक इसे लंबे कैनवास का रूप देते हैं, जो किसी भी एंगल पर खूबसूरत सेल्फी के लिए मुफीद होता है. इस पर फिलहाल हर कोई फिदा है.

दूसरे शब्दों में कहें, तो फोटो प्रेमियों के लिए ये नजारा किसी जन्नत से कम नहीं होता. ट्रैवल्स असिस्टेंट रोनाल्ड नाडार के मुताबिक, देव दीपावली पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है. बाहर से आने वाले सैलानियों की कोशिश होती है कि वो देव दीपावली के आसपास बनारस पहुंचें, ताकि इस अद्भुत नजारे का दीदार कर सकें.

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सेल्फी के लिए चुकानी पड़ती है बड़ी कीमत

गंगा किनारे चंद घंटों के इस लम्हे को देखने के लिए सैलानी दिल खोलकर खर्च कर रहे हैं. शहर के सभी होटल और लॉन्ज महीनों पहले ही बुक हो चुके हैं. आलम ये है कि देव दीपावली के दिन साधारण होटल में एक रात गुजारने के लिए लोगों को एक हजार से पांच हजार रुपए चुकाने पड़ रहे हैं. बड़े होटलों में 8 हजार से लेकर लाख रुपए तक की बुकिंग हुई है.

बनारस में लगभग 600 छोटे-बड़े होटल हैं. देव दीपावली पर सभी होटल पूरी तरह बुक हैं. बनारस होटल एसोसिएशन की ओर से सभी होटल और लॉन्ज को खासतौर से इंतजाम करने को कहा गया है.
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लाखों में हो रही है बजड़ों की बुकिंग

नाव और बजड़ों की कीमत तो आसमान छूती हैं. अगर आप छोटी नाव भी लेना चाहते हैं, तो मोटी कीमत चुकानी पड़ेगी. बनारस के नाविकों के लिए ये इकलौता ऐसा त्योहार है, जहां उन्हें मुंहमांगी रकम देने को लोग तैयार रहते हैं.

आलम ये है कि नावों और बजड़ों की बुकिंग का रेट 10 हजार से लेकर 10 लाख रुपए तक है. देव दीपावली पर नावों और बजड़ों को फूलों से सजाया जाता है. इन बजड़ों पर बनारसी व्यंजन से लेकर गीत-संगीत की व्यवस्था होती है.

नाव संचालक राजू सैनी के मुताबिक, ''हमें पूरे साल देव दीपावली का इंतजार रहता है. चाहे छोटी नाव हो या फिर बजड़े, महीनों पहले ही बुक हो जाते हैं.''

देव दीपावली के दिन फ्लाइट भी महंगी

देव दीपावली के आस-पास फ्लाइट का किराया भी लगभग दोगुना हो चुका है. दिल्ली से वाराणसी की फ्लाइट जो आम तौर पर 2-3 हजार रुपए की मिलती है वो इस वक्त 5-6 हजार की है.

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