ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने खुलासा किया है कि भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने उनसे कहा था कि अगर मुंबई की तरह दूसरा हमला हुआ तो पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी. कैमरन ने गुरुवार को अपनी जीवनी 'फॉर द रिकॉर्ड' में डॉक्टर मनमोहन सिंह को लेकर और भी कई बातें कही हैं.
कैमरन ने कहा,
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मेरे रिश्ते अच्छे रहे. वह संत पुरुष हैं लेकिन भारत के खतरों के प्रति वह कड़ा रुख भी रखते थे. भारत की एक यात्रा के दौरान उन्होंने मुझसे कहा था कि मुंबई में 2008 के आतंकवादी हमले की तरह कोई दूसरा आतंकवादी हमला होता है तो भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करनी होगी.’
52 साल के डेविड कैमरन ने अपने प्राइवेट और प्रोफेशनल जिंदगी की कई अहम घटनाओं के बारे में बताया है. इसमें 2010 से 2016 के बीच का खास तौर पर जिक्र है जब वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे. इसी दौरान उनकी मनमोहन सिंह से मुलाकात भी हुई थी. कैमरन ने पीएम मोदी के साथ गले मिलने का भी जिक्र किया है.
पीएम मोदी से गले मिलने पर क्या बोले कैमरन
अपने जीवनी में भारत- ब्रिटेन के रिश्तों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कंजरवेटिव पार्टी के 52 साल के पूर्व नेता ने भारत के दो नेताओं मनमोहन सिंह और पीएम मोदी का जिक्र किया. उन्होंने वेम्बले स्टेडियम में संबोधन के दौरान स्टेज पर पीएम मोदी से गले मिलने की घटना को भी याद किया. उन्होंने कहा,
मोदी के संबोधन से पहले मैंने 60 हजार की भीड़ से कहा कि मुझे लगता है कि किसी दिन भारतीय मूल का ब्रिटिश व्यक्ति 10 डाउनिंग स्ट्रीट में प्रधानमंत्री के तौर पर आएगा. लोगों की भीड़ ने चिल्लाकर इसे मंजूरी दी जो अद्भुत था और जैसे ही स्टेज पर मोदी और मैंने एक- दूसरे को गले लगाया मुझे उम्मीद जगी कि यह ब्रिटेन द्वारा दुनिया को खुले दिल से स्वागत करने का संकेत देगा.
मुंबई की झुग्गी से लेकर दिल्ली में टुक टुक की सवारी
कैमरन ने दिल्ली में टुक टुक से यात्रा करने और मुंबई की झुग्गी- झोपड़ियों घूमने का भी जिक्र किया. उन्होंने अमृतसर में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के दौरे का भी ब्यौरा दिया है जिस दौरान 2013 में उन्होंने ब्रिटेन के ‘सबसे बड़े' व्यवसाय मिशन का नेतृत्व किया. वह ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने जालियांवाला बाग नरसंहार पर दुख जताया था.
जालियां वाला बाग
कैमरन ने लिखा है, ‘काफी वक्त से ब्रिटिश भारतीय समुदाय के मेरे दोस्त मुझे प्रोत्साहित कर रहे थे कि मैं अमृतसर में स्वर्ण मंदिर जाऊं. सिखों के पवित्र स्थल पर औपनिवेशिक काल (कॉलोनियल पीरियड) में ब्रिटेन के सैनिकों ने एक शांतिपूर्ण बैठक पर गोलीबारी की थी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे.'' उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी वर्तमान प्रधानमंत्री अभी तक अमृतसर नहीं पहुंचा था और जो हुआ उस पर दुख व्यक्त नहीं किया था. मैं दोनों चीजों को बदलना चाहता था.''
उन्होंने अपनी किताब में लिखा है,
‘‘मेरे दौरे से पहले इस बात को लेकर विवाद था कि मुझे ‘खेद जताना’ चाहिए अथवा नहीं. लेकिन मुझे महसूस हुआ कि शहीद स्मारक की संवेदना पुस्तिका में जिसे मैंने ‘ब्रिटेन के इतिहास में काफी शर्मनाक’ घटना बताया, वह उपयुक्त था. मुझे पता है कि ब्रिटेन के सिखों के लिए यह काफी मायने रखता है कि उनके प्रधानमंत्री ने यह सौहार्द दिखाया और ऐसा कर मैं खुश हूं.’’
बता दें कि एक जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ छोड़ने के लिए हुए मतदान के बाद कैमरन ने जून 2016 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और उसके बाद से राजनीति से अलग हैं.
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