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'वकील के रूम में ड्रग रखकर फंसाया'... पूर्व IPS संजीव भट्ट को किस केस में 20 साल की जेल?

Drugs Planting Case: संजीव भट्ट पर वकील के कमरे में डेढ़ करोड़ के ड्रग्स रखने और उनके खिलाफ झूठे सबूत गढ़ने का आरोप लगा.

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गुजरात (Gujarat) के बनासकाठा जिले की स्पेशल एनडीपीएस कोर्ट ने पूर्व IPS अफसर संजीव भट्ट (Sanjeev Bhatt) को साल 1996 के एक ड्रग्स प्लांटिंग केस में आरोपी पाया है और 20 साल कारावास की सजा सुनाई है. 

एडिशनल जज जेएन ठक्कर ने संजीव भट्ट को एनडीपीएस की धारा 21 (C), 27 A के तहत 20 साल की सजा दी है. दोनों धाराओं के तहत उन्हें 2-2 लाख का जुर्माना भी भरना होगा.

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क्या है पूरा मामला?

ये मामला साल 1996 का है. संजीव भट्ट पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान के एक वकील के कमरे में गलत तरीके से ड्रग्स रखकर फंसाया था. संजीव भट्ट को 5 सितंबर, 2018 को गिरफ्तार किया गया था. यह मामला तब का है जब संजीव भट्ट बनासकांठा के एसपी पद पर कार्यरत थे. 1996 में बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के एक वकील को पालनपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया था.

इसके बाद संजीव भट्ट पर वकील के कमरे में डेढ़ करोड़ के ड्रग्स रखने और उनके खिलाफ झूठे सबूत गढ़ने का आरोप लगा. इसके बाद राजस्थान पुलिस की जांच में पता लगा कि वकील को बनासकांठा पुलिस ने झूठे आरोप में फंसाया था. यहां तक आरोप लगे की पुलिस ने वकील को उनके आवास से अगवा कर लिया था.

सितंबर 2018 में गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच के आदेश के बाद संजीव भट्ट और उनके सहयोगी आईबी व्यास को गिरफ्तार किया गया था. कुछ समय बाद आईबी व्यास सरकारी गवाह बन गए थे.

संजीव भट्ट पहले से ही एक दूसरे मामले में पालनपुर जेल में बंद हैं. ये मामला जामनगर में एक हिरासत में मौत के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. स्पेशल एनडीपीएस कोर्ट ने कहा है कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलती रहेंगी.

फिलहाल किस मामले में काट रहे जेल की सजा?

साल 1990 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के रथ यात्रा के दौरान 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था. 

इस दौरान हिरासत में लिए गए एक शख्स, प्रभुदास माधवजी की हिरासत में मौत का आरोप पुलिस पर लगा. हालांकि पुलिस ने दावा किया कि तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया.

इसके बाद प्रभुदास माधवजी के भाई ने संजीव भट्ट और 6 पुलिसकर्मियों पर आरोप लगाया कि हिरासत के दौरान प्रभुदास को प्रताड़ित किया गया था. इस मामले में संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा हुई. 

हालांकि संजीव भट्ट की ओर से कहा गया  कि ये मामला राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है.

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