पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एल रामदास ने चुनाव आयोग से मांग की है कि राजनीतिक फायदे के लिए सशत्र बलों का इस्तेमाल बंद किया जाए. रामदास ने चुनाव आयोग से गुजारिश की है कि राजनीतिक दलों को पुलवामा हमला, बालाकोट की हवाई कार्रवाई और विंग कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तान से वापस आने के मुद्दे को मतदाताओं को लुभाने के लिए इस्तेमाल करने से रोकने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे एक खुले खत में एडमिरल एल रामदास (रिटायर्ड) ने पार्टियों द्वारा राजनीतिक फायदे के लिए सशस्त्र बलों के शौर्य का इस्तेमाल किये जाने की हालिया घटनाओं पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि कुछ समय बाद चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में खासतौर पर ये बात अहम है कि किसी भी राजनीतिक दल द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए इन घटनाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाए.
उन्होंने दो पन्नों के खत में लिखा कि सशस्त्र बल जिस ढांचे, मूल्यों और माहौल से जुड़े होते हैं, वह गैर राजनीतिक और धर्मनिरपेक्ष रहा है.
रामदास ने क्या लिखा खुले खत में
सशस्त्र बलों के रिटायर्ड कर्मियों में से मेरे कई सहयोगियों की ओर से, मैं नौसेना का पूर्व प्रमुख एडमिरल एल रामदास हूं. राजनीतिक लाभ के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग करने के हाल के उदाहरणों, खासतौर से पुलवामा हमले, बालाकोट एयर स्ट्राइक हमले और भारतीय वायु सेना के पायलट के प्रकरण के बाद, मेरी कुछ चिंताओं को साझा करने के लिए मैं ये खत लिख रहा हूं.
मुझे यकीन है कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि सशस्त्र बलों ने हमेशा खुद को एक ढांचे, एक लोकाचार और एक ऐसे परिवेश से संबंधित माना है, जो गैर राजनीतिक और धर्मनिरपेक्ष रहा है.
अब से कुछ हफ्ते बाद होने वाले चुनावों के मद्देनजर, यह खास तौर से अहम है कि किसी भी राजनीतिक दल द्वारा इन हालिया घटनाओं का कोई दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए, और विजयी या जनवादी संदेश नहीं भेजा जाना चाहिए, जो मतदाताओं को प्रभावित कर सकें.
और यह इस संदर्भ में है कि एक जिम्मेदार नागरिक और भारतीय सशस्त्र बलों के एक गौरवशाली व्यक्ति के रूप में, मैं अपनी भावना और निराशा की गहरी चिंता साझा कर रहा हूं कि कैसे कुछ राजनीतिक दल सशस्त्र सेना की तस्वीरों, वर्दी और अन्य उदाहरणों का इस्तेमाल करके सार्वजनिक स्थानों पर, मीडिया में और चुनावी रैलियों में अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं.
यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है क्योंकि इसमें हमारे सशस्त्र बलों की नींव और मूल्य प्रणाली को नष्ट करने की क्षमता है, जो कि भारतीय संविधान की दूरदृष्टि और जज्बे के इरादे से बनाई गई है.
इसलिए, हम चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप करने और राजनीतिक दलों को एक मजबूत संदेश भेजने का आग्रह करते हैं कि सशस्त्र सेना से संबंधित तस्वीरों, अन्य सामग्री / रिपोर्ट या अन्य जानकारी का कोई राजनीतिक दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.
एल रामदास ने अपने खत में जनसत्ता की एक खबर का लिंक भी साझा किया जिसमें इसी बात का जिक्र है.
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