हाल ही में कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने वाले पूर्व आईएएस ओपी चौधरी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. उन्होंने मंगलवार को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में सदस्यता ली.
कुछ ही दिन में पहले ओपी चौधरी ने ट्वीट कर कलेक्टर पद से इस्तीफा देने की जानकारी दी थी. इसके बाद उन्होंने वीडियो जारी कर कलेक्टर की नौकरी छोड़ राजनीति में आने की वजह भी बताई थी.
अमित शाह और रमन सिंह की मौजूदगी में ली सदस्यता
ओपी चौधरी ने बीते 25 अगस्त को अपनी इस्तीफा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को भेज दिया था. इसके बाद से ही उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं.
इन अटकलों पर मंगलवार को उस वक्त विराम लग गया, जब चौधरी ने दिल्ली पहुंचकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की.
पहले भी सुर्खियों में रहे हैं ओपी चौधरी
2005 बैच के आईएएस अफसर ओपी चौधरी अपने काम को लेकर पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं. नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में शिक्षा के क्षेत्र में लाए गए क्रांतिकारी बदलाव के लिए काफी चर्चा बटोर चुके हैं.
ओपी चौधरी को नक्सल प्रभावित इलाकों में बेहतर काम करने के लिए साल 2011-12 में प्रधानमंत्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.
कांग्रेस के गढ़ को भेदने के लिए चौधरी पर दांव लगा सकती है बीजेपी
ओपी चौधरी रायगढ़ जिले की खरसिया सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. इस सीट पर बीजेपी आज तक जीत दर्ज नहीं करा सकी है. संयुक्त मध्य प्रदेश के बाद से खरसिया विधानसभा सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. इसीलिए खरसिया को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.
खरसिया कांग्रेस के दिवंगत नेता नंद कुमार पटेल की परंपरागत सीट रही है. पिछले विधानसभा चुनाव के पहले 25 मई 2012 को बस्तर की झीरम घाटी में हुए नक्सली हमले में नंद कुमार पटेल का निधन हो गया था. इसके बाद हुए उपचुनाव में नंद कुमार पटेल के बेटे उमेश पटेल को प्रत्याशी बनाया गया था. उमेश पटेल ने उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी.
खरसिया विधानसभा सीट में अघरिया समुदाय के सबसे ज्यादा वोटर हैं. ओपी चौधरी भी इसी समुदाय से आते हैं. ऐसे में बीजेपी ओपी चौधरी पर दांव लगाकर कांग्रेस के गढ़ खरसिया को भेद सकती है.
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