रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि YES बैंक सकंट को दूर करने के लिए काफी समय था. राजन ने कहा, ‘यस बैंक ने हमें कई मौकों पर बताया कि उसके सामने दिक्कतें आ रही हैं, इसके लिए योजना तैयार करने के लिए काफी समय था.’
राजन ने सीएनबीसी-टीवी 18 को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मैं उम्मीद करता हूं कि हमें सबसे अच्छी योजना मिली है. लेकिन मैं दूसरा अनुमान नहीं लगाना चाहता हूं क्योंकि मैं चीजों को विस्तार से नहीं जानता हूं."
“बैंकों की बैलेंस शीट की सफाई की इच्छा न होने के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याएं लंबी खिंच रही हैं. यह काम आपात स्तर पर किए जाने की जरूरत है, इसलिए एनबीएफसी, निजी बैंक और यहां तक की सरकारी बैंक भी लोगों का विश्वास खो देंगे.”रघुराम राजन, पूर्व गवर्नर, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
बता दें, आरबीआई की सिफारिश पर भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. इस प्रतिबंध के बाद बैंक का कोई भी खाताधारक अपने अकाउंट से 50 हजार रुपये से अधिक रकम नहीं निकाल सकता.
YES बैंक को मार्च 2019 में पहली बार हुआ घाटा
यस बैंक अगस्त, 2018 से संकट में है. उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर से कामकाज के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था. उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के तहत बैंक ने दबाव वाली ऐसी संपत्तियों का खुलासा किया है जिनकी जानकारी नहीं दी गई थी. बैंक को मार्च, 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था.
एनपीए की वजह से बैंक की सुरक्षित पूंजी नीचे आ गई है. YES बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी. बाद में बैंक के निदेशक मंडल ने कनाडा के निवेशक एसपीजीपी ग्रुप-इर्विन सिंह ब्रायच के 1.2 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
मुंबई मुख्यालय वाले YES बैंक की स्थापना 2004 में हुई थी. जून, 2019 के अंत तक बैंक की पूंजी का आकार 3,71,160 करोड़ रुपये था.
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