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G20 Summit 2023: दिल्ली में आयोजित इस 'महासम्मेलन' का खर्चा कौन उठा रहा?

G20 Summit 2023: केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का दावा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने मिलकर 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

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भारत की राजधानी दिल्ली (Delhi) में G20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) चल रहा है और शहर की मुख्य सड़कें और सरकारी इमारतें बड़े-बड़े होर्डिंग से पटी हुई हैं, जिन पर लिखा है- वसुधैव कुटुम्बकम यानी दुनिया एक परिवार है. G20 शिखर सम्मेलन के लिए 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में 20 से ज्यादा देशों के राष्ट्र प्रमुख जमा हुए हैं. इसके लिए राजधानी में बड़े पैमाने पर सजावट की गई है, जिसमें फ्लाईओवर्स पर पेंटिंग बनाई गई हैं और मेहमानों के स्वागत के लिए ऊंची मूर्तियां बनाई गई हैं.

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इसके अलावा दिल्ली में आयोजन स्थलों और सड़कों को 6.75 लाख फूलों वाले पौधों और झाड़ियों से सजाया गया है. हाई-प्रोफाइल राजनयिकों को सुरक्षित लाने और ले जाने के लिए शहर में सिक्योरिटी भी बढ़ा दी गई है.

क्या आपने सोचा है कि भारत में G20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) के आयोजन में कितना पैसा लगा है और ये खर्चा कौन कर रहा है?

इस पर खर्च कितना आया है?

वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्र सरकार के बजट में भारत की G20 अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिससे विदेश मंत्रालय (MEA) का आवंटन 4.26 फीसद (लगभग 800 करोड़ रुपये) की मामूली बढ़ोतरी के साथ कुल 18,050 करोड़ रुपये हो गया था.

न्यूज पोर्टल Newslaundry द्वारा दाखिल एक RTI के जवाब में सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने बताया कि,

केंद्र सरकार ने दिसंबर 2022 और अप्रैल 2023 के बीच भारत की G20 अध्यक्षता से जुड़े आउटडोर विज्ञापनों पर करीब 50.64 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

हालांकि RTI के जवाब से यह साफ नहीं हुआ कि कौन सा मंत्रालय इस पैसे (50,64,84,996 रुपये) का भुगतान करेगा. केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC) के एक सीनियर ऑफिसर ने न्यूज पोर्टल को बताया कि पैसे का भुगतान विदेश मंत्रालय द्वारा CBC के जरिए किया जाएगा.

इसके अलावा सरकार ने नेताओं को लाने और ले जाने के लिए कम से कम 20 बुलेट-प्रूफ लिमोजिन (Limousines) किराए पर लिए हैं, जिसपर लगभग 18.12 करोड़ रुपये (21.8 लाख डॉलर) खर्च किए गए हैं. समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की VIP सुरक्षा विंग के 450 ड्राइवरों को खास लेफ्ट हैंड ड्राइव और बुलेट-प्रूफ कारों को चलाने की ट्रेनिंग दी गई है.

विपक्षी सांसद अब्दुल वहाब ने संसद के मॉनसून सत्र के दौरान 27 जुलाई को जब G20 से जुड़े कार्यक्रमों पर किए गए कुल खर्च के बारे में सरकार से सवाल किया तो विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने सवाल का जवाब नहीं दिया.

G20 Summit 2023: केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का दावा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने मिलकर 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
याद रखें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को केंद्रीय बजट पढ़ते हुए भारत की G20 अध्यक्षता की तैयारियों के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.

इसमें दिल्ली सरकार का खर्च भी जोड़ लें

केंद्र सरकार की तरफ से आवंटित धन के अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने भी G20 की तैयारियों के लिए धन की मांग की.

इस साल फरवरी में दिल्ली के तत्कालीन वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने सीतारमण को पत्र लिखकर G20 की तैयारियों में तेजी लाने के लिए 927 करोड़ रुपये की मांग की थी.

उन्होंने इस पत्र में कहा था-

"आपको पता होगा कि दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से केंद्रीय करों में से अपने हिस्से के तौर पर कोई वित्तीय मदद नहीं मिली है. दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से कोई अतिरिक्त अनुदान भी नहीं मिला है."

सिसोदिया ने अपने पत्र में जोर देकर कहा था कि दिल्ली सरकार ने G20 शिखर सम्मेलन के लिए एक योजना बनाई है, जिसमें बुनियादी ढांचे के विकास के साथ ही G20 स्थलों का सौंदर्यीकरण भी शामिल है, और उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसके लिए मंजूरी दे दी है.

वैसे समाचार एजेंसी PTI की एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि G20 की तैयारियों पर दिल्ली सरकार की तमाम एजेंसियों का 1,084 करोड़ खर्च होगा. इस साल फरवरी में जारी रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार के 26 विभाग और केंद्रीय एजेंसियां G20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर काम कर रही थीं.

लोक निर्माण विभाग (PWD), दिल्ली नगर निगम (MCD), और नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) मुख्य रूप से शहरी बुनियादी ढांचे में सुधार और सौंदर्यीकरण के काम से जुड़े हैं. एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने PTI को बताया कि PWD, MCD और NDMC इस पर क्रमश: 448 करोड़ रुपये, 249 करोड़ रुपये और 78 करोड़ रुपये खर्च करेंगे.

इसके अलावा, दिल्ली पर्यटन विभाग ने 72 करोड़ रुपये के बजट के साथ कार्यक्रमों की योजना बनाई है.

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G20 को ध्यान में रखते हुए दिल्ली का बजट

इस साल मार्च में दिल्ली के वित्त मंत्री कैलाश गहलोत ने G20 शिखर सम्मेलन को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया था.

गहलोत ने दिल्ली को “साफ, सुंदर और आधुनिक” शहर में बदलने पर खास जोर देते हुए दिल्ली की सड़कों के अपग्रेडेशन और ब्यूटीफिकेशन के लिए 2,034 करोड़ रुपये और पब्लिक ट्रांसपोर्ट के आधुनिकीकरण के लिए 3,500 करोड़ रुपये बजट में आवंटित किए.

नई दिल्ली के बाहरी इलाके में पहाड़ जैसी लैंडफिल साइट्स से कूड़ा साफ करने के लिए MCD को 850 करोड़ रुपये का कर्ज भी दिया गया.

दिल्ली सरकार ने PWD के तहत आने वाले 1,400 किलोमीटर रोड नेटवर्क के कायाकल्प की योजना बनाई. गहलोत ने अपने बजट भाषण में कहा था इस काम में “सड़कों और फुटपाथों के पूरे नेटवर्क की रिपेयरिंग और री-कारपेटिंग और उन्हें पैदल चलने वालों के लायक बनाने, सड़कों के किनारे कच्चे रास्तों पर पूरी हरियाली करना शामिल है. पूरे सड़क नेटवर्क की नियमित रूप से मशीन से सफाई और धुलाई शुरू की जाएगी.

इस प्रोजेक्ट में गड्ढे खत्म करने के लिए सड़क की सतह पर डामर की परत लगाना, जेबरा क्रॉसिंग की मरम्मत करना और लेन मार्किंग्स को चमकीले रंग से रंगना, अतिक्रमण हटाना और कच्ची जमीन पर पौधे लगाना वगैरह शामिल हैं.

दिल्ली सरकार ने इसके अलावा 26 नए फ्लाईओवर और अंडरपास बनाने के लिए 772 करोड़ रुपये आवंटित किए, जबकि डबल-डेकर फ्लाईओवर के लिए 320 करोड़ रुपये अलग रखे गए. इस तरह सड़कों और पुलों का कुल बजट 3,126 करोड़ रुपये है.

इसके अलावा, बजट में यमुना नदी की सफाई के लिए छह बिंदुओं वाले एक्शन प्लान का जिक्र किया गया है.

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फंड पर ‘तू-तू मैं-मैं’

दिल्ली की PWD मंत्री आतिशी ने पिछले हफ्ते आरोप लगाया था कि केंद्र ने दिल्ली सरकार को G20 की तैयारियों के लिए कोई पैसा नहीं दिया– और एलजी सक्सेना ने उन्हें किसी भी योजना के निरीक्षण के लिए आमंत्रित नहीं किया.

आतिशी ने PTI से कहा कि केंद्र ने हमें G20 के लिए आज तक एक पैसा नहीं दिया है. हमने 927 करोड़ रुपये मांगे थे, मगर हमें कुछ नहीं मिला. हमने यह सोचकर इसे मुद्दा नहीं बनाया कि इससे देश की इज्जत खराब होगी. BJP और LG कह रहे हैं कि सब कुछ उन्होंने किया है. यह उनके अहंकार को दर्शाता है.

केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि तकरीबन सारा खर्च केंद्र सरकार ने उठाया है, दिल्ली सरकार ने नहीं.

लेखी ने सवाल उठाते हुए कहा,

मैं जानना चाहती हूं कि उन्हें 927 करोड़ रुपये की मांग करने की जरूरत क्यों पड़ी, जबकि अकेले PWD का बजट 10,000 करोड़ रुपये से 20,000 करोड़ रुपये है. क्या वे दिल्ली के विकास के लिए 927 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सकते थे?

उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों के निर्माण, मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए 700 करोड़ रुपये आवंटित किए थे और PWD व MCD ने इस फंड का इस्तेमाल मेकओवर के लिए किया था.

कितना पैसा खर्च हुआ?

मीनाक्षी लेखी ने यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस, PWD, MCD, DDA, और NHAI– सहित दिल्ली सरकार और केंद्र की विभिन्न एजेंसियों ने मिलकर राजधानी में G20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर तकरीबन 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

केंद्रीय राज्य मंत्री की तरफ से पेश किए गए एक दस्तावेज के मुताबिक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले इंडिया ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन (ITPO) ने सबसे ज्यादा 3,500 करोड़ रुपया खर्च किया है, इसके बाद 340 करोड़ रुपये का खर्च दिल्ली पुलिस ने उठाया है.

G20 Summit 2023: केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का दावा है कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने मिलकर 4,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.

केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा साझा किया गया दस्तावेज

(फोटो- X)

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मंत्रालयों को यह पैसा कहां से मिला? आइए फिर से बजट 2023 पर चलते हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था में तमाम डायरेक्ट टैक्स (जैसे इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स) के साथ-साथ इनडायरेक्ट टैक्स (जैसे VAT, GST, एक्साइज टैक्स वगैरह) से पैसा आता है. इस तरह खर्च सरकारी खजाने या करदाताओं के पैसे से किया जा रहा है.

जिन देशों ने पहले G20 की अध्यक्षता की है, उन्होंने भी इसकी तैयारी पर अच्छी-खासी रकम खर्च की है. उदाहरण के लिए टोरंटो यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च पेपर के अनुसार अर्जेंटीना ने शिखर सम्मेलन के दौरान 11.20 करोड़ डॉलर (लगभग 931.59 करोड़ रुपये) खर्च किए, जबकि जर्मनी ने 2017 हैम्बर्ग शिखर सम्मेलन के लिए 7.22 करोड़ यूरो (लगभग 643.47 करोड़ रुपये) खर्च किए थे.

G20 की इतनी अहमियत क्यों है?

ग्रुप ऑफ 20 (The Group of Twenty 20 ) सरकारों की आपसी साझीदारी का एक मंच है जिसमें 19 देश शामिल हैं– अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए, यूके, यूएस और यूरोपीय यूनियन.

G20 के सदस्य विश्व की GDP का तकरीबन 85 प्रतिशत, विश्व व्यापार का 75 फीसद से अधिक और विश्व तकरीबन दो-तिहाई आबादी की नुमाइंदगी करते हैं.

भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता कर रहा है. इसमें 43 प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख हिस्सा ले रहे हैं- जो G20 में अब तक सबसे अधिक है. दिल्ली में 9 और 10 सितंबर तक इसका आयोजन होगा.

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