भारत के इतिहास में 20 मार्च 2017 को पहली बार कुछ ऐसा हुआ था जो अपने आप में अचंभा था. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा नदी को एक जीवित इकाई के बराबर दर्जा दे कर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. मतलब पहली बार किसी नदी को मनुष्य के बराबर का दर्जा दिया गया हो. लेकिन अब उसी गंगा को मानव का दर्जा पाने के बाद शुक्रवार को पहला कानूनी नोटिस भी मिल गया.
जस्टिस वीके बिष्ट और जस्टिस आलोक सिंह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर पालिका परिषद, ऋषिकेश के साथ साथ गंगा को भी नोटिस जारी किया है.
क्या है मामला ?
ऋषिकेश के रहने वाले स्वरुप सिंह पुंडीर ने एक याचिका दायर किया है. दायर याचिका में कहा गया है कि खादरी खड़ग गांव मेंं नियमों का उल्लंघन करते हुए एक टेंचिंग ग्रांउड बनाया जा रहा है. पुंडीर ने दलील दी कि ग्राम पंचायत ने यह जमीन म्युनिसिपल बोर्ड को बिना गांव वालों को विश्वास में लिये आवंटित कर दी.
नोटिस पाने वाले सभी पक्षों को उसका जवाब देने का निर्देश देते हुए हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिये आठ मई की तारीख तय की है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कुछ दिन पहले गंगा को इंसानों का दर्जा देते हुए उसे जीवित व्यक्ति के सभी कानूनी अधिकार दे दिये थे.
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