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फेक एनकाउंटर केस में UP अव्वल,ये हैं देश के 5 सबसे विवादित मुठभेड़

2012 में सबसे ज्यादा 226 फेक एनकाउंटर हुए

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गैंगस्टर विकास दुबे मध्य प्रदेश के उज्जैन से कानपुर लाते समय मारा गया है. यूपी STF का कहना है कि जिस गाड़ी में विकास था, उसके ड्राइवर ने हाईवे पर गाय-भैंसों के एक झुंड को बचाने के लिए अचानक से मोड़ा जिसकी वजह से गाड़ी पलट गई. विकास ने एक पुलिसवाले की पिस्तौल छीन कर भागने की कोशिश की लेकिन पुलिस की जवाबी कार्रवाई में वो मारा गया. हथियार छीनकर भागने की थ्योरी सिर्फ विकास ही नहीं पहले भी कई एनकाउंटर में देखने को मिल चुकी है. इन सभी एनकाउंटर को भी 'फेक', 'प्रायोजित' या 'एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग' का नाम दिया जाता रहा है.विकास दुबे के एनकाउंटर पर भी फेक होने के आरोप लग रहे हैं.

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समय में बहुत पीछे जाने की जरूरत नहीं है. दिसंबर 2019 में हैदराबाद में एक वेटरिनरी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के चार आरोपियों को पुलिस ने ‘मुठभेड़’ में मार गिराया था. पुलिस ने दावा किया था कि आरोपियों को क्राइम सीन पर ले जाया गया था लेकिन उन्होंने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की थी.  

फेक एनकाउंटर ऐसी मुठभेड़ को कहते हैं, जो प्रायोजित और सुनियोजित होती हैं. आंकड़ों की बात करें तो साल 2000 से 2017 के बीच देशभर में फेक एनकाउंटर के 1782 मामले दर्ज हुए थे. देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी इस मामले में भी सबसे आगे दिखाई देता है. NCRB के डेटा के मुताबिक, यूपी में कुल मामलों के 44 फीसदी केस दर्ज हुए थे.

2012 में सबसे ज्यादा 226 फेक एनकाउंटर हुए

2000 के बाद से सबसे ज्यादा एनकाउंटर 2012 में हुए थे. उस साल पूरे देश में 226 फेक एनकाउंटर के मामले सामने आए थे. इन मामलों में से अब तक सिर्फ 195 केस ही हल हो पाए हैं और बाकी 31 आज तक पेंडिंग हैं.

2010 से 2017 के बीच मानवाधिकार आयोग ने 725 ऐसे मामले दर्ज किए थे. बीच में कुछ साल 60 फेक एनकाउंटर प्रति साल की दर से रिकॉर्ड किए गए. लेकिन 2015 में ये आंकड़ा 140 पर पहुंच गया था. 

एक अलग रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र में सबसे ज्यादा फेक एनकाउंटर

2019 में आगरा स्थित मानवाधिकार कार्यकर्त्ता नरेश पारस ने एक RTI दायर की थी. इसके मुताबिक, 1 जनवरी 2015 से 20 मार्च 2019 के बीच NHRC ने फेक एनकाउंटर से जुड़े 211 केस दर्ज किए थे.

RTI के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में सबसे ज्यादा 57 फेक एनकाउंटर आंध्र प्रदेश से सामने आए थे. इसके बाद 39 फेक एनकाउंटर के साथ यूपी का नंबर आता है.

RTI के जवाब में NHRC ने बताया था कि 211 में से 112 केस ही हल हो पाए थे और बाकी 99 आज भी पेंडिंग हैं. NHRC ने यहां तक कहा था कि यूपी में सरकारें फेक एनकाउंटर के मामले में पुलिस पर सख्ती नहीं बरतती हैं और राज्य में हर महीने कथित फेक एनकाउंटर का एक मामला सामने आ ही जाता है.
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देश के पांच सबसे विवादित एनकाउंटर

हजारों की संख्या में मानवाधिकार आयोग के पास फेक एनकाउंटर के केस दर्ज हैं. हालांकि देश में कुछ मामले ऐसे हैं, जो आज भी मिसाल या उदाहरण की तरह इस्तेमाल किए जाते हैं.

इशरत जहां

19 वर्षीय इशरत जहां का 2004 में गुजरात पुलिस ने तीन और लोगों के साथ एनकाउंटर किया था. पुलिस का दावा था कि इशरत तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को मारने की आतंकी साजिश का हिस्सा थी.

एनकाउंटर पर बहुत विवाद हुआ था और बीजेपी की विपक्षी पार्टियों ने इसे टार्गेटेड किलिंग बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच बैठाई थी. इसमें पुलिस के कई आला अफसरों के नाम आए थे.

सोहराबुद्दीन शेख

इशरत जहां के एक साल बाद गुजरात पुलिस ने सोहराबुद्दीन शेख और उसकी बीवी कौसर बी को एनकाउंटर में मार गिराया था. पुलिस ने कहा था कि शेख लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा था.

इस केस की जांच भी सीबीआई को मिली थी. तत्कालीन गुजरात के गृह मंत्री अमित शाह का नाम इस केस में आया था. वो कुछ दिन जेल में भी रहे थे.

लखन भैया

रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया का 2006 में मुंबई पुलिस ने एनकाउंटर किया था. लखन को छोटा राजन गैंग का मेंबर माना जाता था.

लखन के परिवार ने हाई कोर्ट से मामले की जांच करने की अपील की थी. जांच में पता चला था कि लखन को पॉइंट ब्लेंक रेंज से गोली मारी गई थी. 2013 में 13 पुलिसकर्मी समेत 21 लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली. ये उन कुछ मामलों में से है, जिनमें आरोपियों का कन्विक्शन हुआ और सजा मिली.

वारंगल एनकाउंटर

आंध्र प्रदेश की पुलिस ने 2008 में वारंगल में 3 लोगों का एनकाउंटर किया था. मारे गए तीनों लोगों पर दो इंजीनियरिंग छात्रों पर एसिड फेंकने का आरोप था.

पुलिस का कहना था कि उन्होंने सेल्फ-डिफेंस में गोली चलाई थी, लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना था कि पब्लिक सेंटीमेंट के चलते एनकाउंटर हुआ है.

हैदराबाद एनकाउंटर

दिसंबर 2019 में एक वेटरनरी डॉक्टर के रेप और हत्या के चार आरोपियों को हैदराबाद पुलिस ने मार गिराया था. पुलिस का दावा था कि आरोपियों को क्राइम सीन पर ले जाया गया था और उन्होंने हथियार छीन कर भागने की कोशिश की थी.

इस बार भी पब्लिक सेंटीमेंट पुलिस के पक्ष में दिखा था. कई जगहों पर पुलिस पर फूल बरसाए गए थे.

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